सुर्ख़ियों में क्यों?
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office: NSSO) ने घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) के नतीजे जारी किए।
अन्य संबंधित तथ्य
- कोविड-19 महामारी के बाद स्थिति सामान्य होने पर केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने 2022-23 और 2023-24 के दौरान घरेलू उपभोग व्यय पर लगातार दो सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया था।
- इस विषय पर दूसरे सर्वेक्षण का फील्ड-वर्क पूरे देश में अगस्त 2023 से जुलाई 2024 के दौरान किया गया।
HCES के महत्वपूर्ण निष्कर्ष: 2023-24
- औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय (Monthly Per Capita Expenditure: MPCE):
- ग्रामीण: 4,122 रुपये (सरकारी कार्यक्रमों के तहत प्राप्त मुफ्त मदों का मूल्य जोड़ने पर 4,247 रुपये)
- शहरी: 6,996 रुपये (सरकारी कार्यक्रमों के तहत प्राप्त मुफ्त मदों का मूल्य जोड़ने पर 7,078 रुपये)
- MPCE में वृद्धि: 2022-23 में ग्रामीण क्षेत्रों में 9% और शहरी क्षेत्रों में 8% की वृद्धि दर्ज की गई।
- शहरी-ग्रामीण अंतराल: यह 2011-12 में 84% था, जो 2023-24 में घटकर 70% हो गया। इससे ग्रामीण उपभोग में वृद्धि का संकेत मिलता है।
- गैर-खाद्य मदों पर बढ़ता व्यय: गैर-खाद्य मदें कुल व्यय का प्रमुख हिस्सा (ग्रामीण: 53%, शहरी: 60%) बन गई है। परिवहन, वस्त्र आदि पर व्यय में अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
- औसत मासिक व्यय में खाद्य-पदार्थों की हिस्सेदारी घटी है।
- उपभोग असमानता: गिनी गुणांक घटकर ग्रामीण क्षेत्रों में 0.237 और शहरी क्षेत्रों में 0.284 हो गया है। यह आय असमानता में कमी को दर्शाता है।
- गिनी गुणांक परिवारों के बीच आय असमानता को मापता है। इसका मान 0 (पूर्ण समानता) से 1 (पूर्ण असमानता) के बीच होता है।
- राज्यों के बीच असमानता: औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय सबसे अधिक सिक्किम में तथा सबसे कम छत्तीसगढ़ में दर्ज किया गया।
- मुद्रास्फीति मापन पर प्रभाव: गैर-खाद्य व्यय का बढ़ना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की संरचना को प्रभावित कर सकता है। इससे मुद्रास्फीति के आकलन में परिवर्तन आ सकता है।
घरेलू उपभोग सर्वेक्षण व्यय (HCES) के बारे में
- उद्देश्य: घरेलू उपभोग और व्यय पैटर्न पर विस्तृत डेटा एकत्र करना, जो देश में जीवन स्तर और कल्याण या खुशहाली का विश्लेषण करने के लिए आवश्यक है।
- सर्वेक्षण का आयोजन: इसे राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा नियमित अंतराल पर आयोजित किया जाता है।
- प्रारंभ में (1950-51 से) इसे हर वर्ष आयोजित किया जाता था। हालांकि, 26वें चक्र से यह लगभग प्रत्येक 5 वर्ष में एक बार आयोजित किया जाने लगा। (2017-18 का सर्वेक्षण 'डेटा गुणवत्ता' में कुछ खामियों के कारण सरकार द्वारा खारिज कर दिया गया था।)
- HCES के मुख्य उद्देश्य:
- उपभोग पैटर्न को समझना: यह सर्वेक्षण घरेलू (पारिवारिक) स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं की खपत पर डेटा एकत्र करता है। इससे परिवार के जीवन और कल्याण के स्तर पता चलता है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक: यह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के लिए भारांश तैयार करने में सहायक होता है, जो आर्थिक विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है।
- आर्थिक संकेतक: यह सर्वेक्षण GDP और CPI जैसे व्यापक आर्थिक संकेतकों के आधार वर्ष को संशोधित करने के लिए आवश्यक डेटा प्रदान करता है।
