संत नरहरि तीर्थ (SAINT NARAHARI TIRTHA) | Current Affairs | Vision IAS
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संक्षिप्त समाचार

Posted 05 Mar 2025

Updated 25 Mar 2025

36 min read

संत नरहरि तीर्थ (SAINT NARAHARI TIRTHA)

विशाखापत्तनम के सिंहाचलम मंदिर में संत नरहरि तीर्थ की मूर्ति मिली है।

संत नरहरि तीर्थ के बारे में

  • संत नरहरि तीर्थ 13वीं शताब्दी के प्रसिद्ध द्वैत वेदांत दार्शनिक, विद्वान और संत थे।
  • ऐसी मान्यता है कि उनका जन्म चिकाकोलु नगर (वर्तमान श्रीकाकुलमआंध्र प्रदेश) में हुआ था।
  • वे मध्वाचार्य के शिष्य थे, जो द्वैत वेदांत दर्शन के प्रवर्तक थे।
  • उन्होंने यक्षगान और बयालु आटा (खुले रंगमंच का नाटक) को वैष्णव भक्ति आंदोलन का हिस्सा बनाया था।
  • तुंगभद्रा नदी के तट पर हम्पी में चक्रतीर्थ के निकट शिला के पास उनकी प्रतिष्ठा की स्थापना गई थी।
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कलारीपयट्टू (KALARIPAYATTU)

उत्तराखंड में आयोजित होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों में कलारिपयट्टू को प्रदर्शन हेतु इवेंट्स की सूची में शामिल कर लिया गया है। इसे प्रतियोगिता वर्ग से हटा दिया गया है। 

कलारीपयट्टू के बारे में 

  • यह केरल में विकसित हुआ था। यह सबसे प्राचीन मार्शल परंपराओं में से एक है, जिसका इतिहास संगम काल से जुड़ा है। 
  • 'कलारी' का अर्थ है प्रशिक्षण केंद्र या वह स्थान जहां अभ्यास होता है और 'पयट्टू' का अर्थ है लड़ाई या कठोर शारीरिक अभ्यास। 
  • दो मुख्य शैलियां: 
    • वडक्कन या उत्तरी शैली केरल के मालाबार क्षेत्र में प्रचलित है।
    • थेक्केन या दक्षिणी शैली मुख्य रूप से त्रावणकोर क्षेत्र में प्रचलित है।
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  • कलारीपयट्टू

कोंडा रेड्डी जनजाति (KONDA REDDI TRIBE)

हाल ही में कोंडा रेड्डी जनजाति महंगे पारंपरिक विवाह करने की बजाय लिव-इन रिलेशनशिप को प्राथमिकता देने के कारण चर्चा में है।

कोंडा रेड्डी जनजाति के बारे में

  • इसे विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 
  • निवास स्थान: यह जनजाति मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के पूर्व व पश्चिम गोदावरी और खम्माम जिलों के पहाड़ी एवं वन क्षेत्रों में निवास करती है।
  • मातृभाषा: इनकी मातृभाषा तेलुगु है।
  • परिवार और विवाह: परिवार पितृसत्तात्मक और पितृस्थानीय होता है। सामान्यतः एकल विवाह की प्रथा का प्रचलन है। हालांकि, बहुविवाह वाले परिवार भी देखे जाते हैं।
  • आस्था और त्यौहार: यह जनजाति मुतयालम्मा (ग्राम देवता), भूमि देवी (पृथ्वी देवी), गंगम्मा देवी (नदी देवी) आदि की पूजा करती है। यह ममीदी कोठा, भूदेवी पांडुगा, गंगम्मा पांडुगा और वाना देवुडु पांडुगा जैसे त्योहार मनाती है।
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हाटी जनजाति ( HATTI TRIBE)

हिमाचल प्रदेश में ट्रांस-गिरि क्षेत्र की हाटी जनजाति का सबसे बड़ा वार्षिक उत्सव बोड़ा त्यौहार शुरू हो गया है। इस उत्सव को स्थानीय रूप से ‘माघो को त्योहार’ भी कहा जाता है। 

हाटी जनजाति के बारे में

  • संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2023 के तहत हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया गया है।
  • कस्बों में 'हाट' नामक साप्ताहिक बाजारों के आयोजन के कारण इस जनजाति का नाम हाटी पड़ा। इन छोटे बाजारों में ये अपनी उपज बेचते आए हैं।
  • इस क्षेत्र को ट्रांस-गिरि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह गिरि और टोंस नदी के पास अवस्थित है। 
  • ये समुदाय उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में निवास करते हैं।
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  • हाटी जनजाति

भारत में फसल-कटाई के त्यौहार (HARVEST FESTIVALS OF INDIA)

हाल ही में, भारत के अलग-अलग भागों में फसल-कटाई के त्यौहार मनाए गए।

भारत के फसल-कटाई के त्यौहार 

  • परिचय: ये त्यौहार देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाए जाते हैं। ये त्यौहार प्रकृति के प्रति समुदायों के प्रेम को दर्शाते हैं।

फसल-कटाई के प्रमुख त्यौहार

  • लोहड़ी: यह त्यौहार उत्तर भारत में, और विशेष रूप से पंजाब में मनाया जाता है। यह सर्दियों के मौसम के समाप्त होने के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। 
  • मकर संक्रांति (उत्तर भारत): यह ग्रीष्म ऋतु के आगमन तथा हिंदुओं के लिए छह माह के शुभ काल को दर्शाता है। यह त्योहार विशेष रूप से सूर्य के उत्तरायण के आरंभ को दर्शाता है। 
    • मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करता है। इसलिए इसे उत्तरायण कहा जाता है। 
  • पोंगल (दक्षिण भारत): यह चार दिवसीय उत्सव है। इसमें सूर्य देव की पूजा की जाती है। यह त्यौहार भी सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश का प्रतीक है।
  • भोगाली बिहू (असम): यह त्यौहार फसल कटाई के मौसम की समाप्ति का प्रतीक है।
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  • फसल-कटाई के त्यौहार

कुंभ मेला (KUMBH MELA)

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ (या पूर्ण कुंभ) का आयोजन किया जा रहा है।

कुंभ के बारे में

  • यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है।
  • यह एक प्रकार की तीर्थ-यात्रा है। यह 12 वर्षों के दौरान चार बार आयोजित होती है। 
  • भारत में कुंभ मेला का आयोजन निम्नलिखित चार तीर्थ स्थलों पर बारी-बारी से होता है:
    • हरिद्वार (उत्तराखंड) में गंगा नदी के तट पर।
    • उज्जैन (मध्य प्रदेश) में क्षिप्रा नदी के तट पर।
    • नासिक (महाराष्ट्र) में गोदावरी नदी के तट पर।
    • प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर। 
      • सरस्वती अदृश्य नदी है जिसका उल्लेख प्राचीन साहित्यों में मिलता है 
  • अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
    • कुंभ मेले को 2017 में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया।
    • चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सबसे पहले अपने यात्रा-वृतांत में कुंभ मेले का उल्लेख किया था।
      • ध्यातव्य है कि ह्वेनसांग 7वीं शताब्दी में राजा हर्षवर्धन के शासनकाल के दौरान भारत की यात्रा पर आया था।
      • आदि शंकराचार्य ने 9वीं शताब्दी में कुंभ मेले को इसका वर्तमान स्वरूप दिया था।
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  • कुंभ मेला

भारत रणभूमि दर्शन (BHARAT RANBHOOMI DARSHAN)

रक्षा मंत्रालय ने अपनी 'रणक्षेत्र पर्यटन' (Battlefield Tourism) योजना के तहत ‘भारत रणभूमि दर्शन वेबसाइट और ऐप’ लॉन्च किए हैं।

  • यह वेबसाइट और ऐप रण-क्षेत्रों की यात्राओं के लिए सूचना प्राप्त करने एवं मंजूरी देने के लिए वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करेंगे। रण क्षेत्रों की यात्राओं में वर्चुअल टूर और ऐतिहासिक गाथाएं शामिल होंगी।
  • भारतीय सेना ने पर्यटन मंत्रालय के साथ मिलकर कुछ अन्य सीमा स्थलों को शॉर्टलिस्ट किया है, जहां अतीत में सैन्य कार्रवाई हुई है या युद्ध हुए हैं। 
  • इनमें अरुणाचल प्रदेश में किबिथू और बुम ला दर्रा; लद्दाख में रेजांग-ला एवं पैंगोंग त्सो, तथा डोकलाम (2017 संघर्ष का स्थल) शामिल हैं।
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  • भारत रणभूमि दर्शन

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार (NATIONAL SPORTS AWARDS)

हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 प्रदान किए।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की 6 श्रेणियां

  • मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार (1991-92): 4 वर्षों की अवधि के दौरान खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रदान किया जाता है। 
    • हाल ही में, यह पुरस्कार गुकेश डी (शतरंज), हरमनप्रीत सिंह (हॉकी), प्रवीण कुमार (पैरा-एथलेटिक्स), मनु भाकर (निशानेबाजी) को दिया गया।
  • अर्जुन पुरस्कार (1961): 4 वर्षों की अवधि के दौरान खेलों में लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। 
  • द्रोणाचार्य पुरस्कार (1985): यह प्रशिक्षकों (कोच) के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान है।
  • मेजर ध्यानचंद पुरस्कार (2002): खेल में आजीवन उपलब्धियों के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान है।
  • राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार (2009): यह पिछले 3 वर्षों में खेल को बढ़ावा देने और उनके विकास के क्षेत्र में भूमिका निभाने के लिए संगठनों/ कॉर्पोरेट्स (निजी व सार्वजनिक) तथा व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है।
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  • राष्ट्रीय खेल पुरस्कार
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