सुर्ख़ियों में क्यों?
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए "कैशलेस उपचार" योजना की घोषणा की है।
कैशलेस उपचार योजना के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- वित्तीय कवरेज: इस योजना के तहत सरकार सात दिनों तक के उपचार की लागत का वहन करेगी, जिसकी अधिकतम राशि 1.5 लाख रुपये होगी। हालांकि, इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवश्यक है कि पुलिस को दुर्घटना के 24 घंटे के भीतर सूचना दी जाए।
- अस्पतालों द्वारा किए गए उपचार के क्लेम का भुगतान मोटर वाहन दुर्घटना निधि (Motor Vehicle Accident Fund) से किया जाएगा।
- दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति, आयुष्मान भारत-प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) पैकेज के तहत ट्रॉमा और पॉलीट्रॉमा उपचार का विकल्प चुन सकता है।
- पात्रता: यह योजना सभी प्रकार की सड़कों पर और मोटर वाहन से जुड़ी सभी सड़क दुर्घटनाओं पर लागू होगी।

- क्रियान्वयन: इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority: NHA) द्वारा पुलिस, अस्पतालों और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ समन्वय किया जाएगा।
- ई-डिटेल्ड एक्सीडेंट रिपोर्ट (eDAR) ऐप्लिकेशन, इस योजना के क्रियान्वयन में मदद करेगा।
- एक्स-ग्रेशिया भुगतान: हिट-एंड-रन मामलों में मृतक के परिवार को 2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
- कानूनी प्रावधान: मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162 के तहत, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को कैशलेस उपचार प्रदान करने पर बल दिया गया है।
कैशलेस उपचार योजना की आवश्यकता क्यों है?
- सड़क दुर्घटना में उच्च मृत्यु दर: भारत उन देशों में शामिल है जहां सड़क दुर्घटनाओं में अधिक मौतें दर्ज की जाती हैं।
- 'गोल्डन ऑवर' में उपचार: समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करके कई घायलों की जान बचाई जा सकती है।
- पीड़ितों पर वित्तीय बोझ: उपचार में अधिक खर्च होने के कारण कई बार समय पर और सही इलाज नहीं मिल पाता है।
- आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई: दुर्घटनाओं की रिपोर्टिंग और अस्पतालों के साथ समन्वय हेतु डिजिटल तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
- सरकारी प्रतिबद्धता: यह पहल भारत में 2030 तक सड़क दुर्घटना संबंधी मृत्यु दर को 50% तक कम करने के लक्ष्य के अनुरूप है। यह लक्ष्य "संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा दशक" अभियान का हिस्सा है।
सड़क सुरक्षा कार्यवाही दशक (2021-2030) के लिए वैश्विक योजना
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भारत में सड़क सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां
- उच्च मृत्यु दर और उपचार-लागत का बोझ: 2022 में विश्व में सड़क दुर्घटनाओं में 11% मौतें भारत में दर्ज की गई थीं। इस प्रकार भारत, सड़क यात्रा के मामले में सबसे अधिक जोखिम वाले देशों में से एक बन गया है।
- तेज गति और लापरवाह ड्राइविंग: सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण ओवर-स्पीडिंग है। विशेष रूप से एक्सप्रेस-वे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की तेज गति के कारण अधिक दुर्घटनाएं होती हैं।
- यातायात से संबंधित कानूनों को सही से लागू नहीं करना: ट्रैफिक नियमों के सही से लागू न होने के कारण लोग हेलमेट और सीट-बेल्ट नहीं पहनते, सिग्नल जंप करना और नशे में गाड़ी चलाने जैसी लापरवाहियां करते हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट कम होना और निजी वाहनों की बढ़ती संख्या: निजी वाहनों की संख्या में वृद्धि और सार्वजनिक परिवहन की कमी के कारण यातायात जाम, प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है।
- वाहनों में नई सुरक्षा सुविधाओं की कमी: कई वाहनों में, विशेष रूप से कम लागत वाले मॉडल्स में एयरबैग और एंटी-लॉक ब्रेकिंग (ABS) जैसी महत्वपूर्ण सुरक्षा सुविधाएं नहीं होती हैं। इस वजह से सड़क दुर्घटनाओं में चालकों या सवारियों की मौत होने की आशंका बढ़ जाती है।
- दुर्घटना के बाद तुरंत उपचार नहीं मिलना: सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 50% मौत की वजह समय पर उपचार नहीं मिलना है। कई जगहों पर आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध नहीं होती हैं।

सिफारिशें: सड़क सुरक्षा के लिए वैश्विक कार्य-योजना (2021-2030) का सेफ सिस्टम अप्रोच
सेफ सिस्टम अप्रोच के तहत यह माना जाता है कि सड़कों पर लोगों से गलतियां हो सकती हैं, लेकिन इस अप्रोच का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान नहीं जाए या वे गंभीर रूप से घायल नहीं हों। इस अप्रोच के मुख्य घटक इस प्रकार हैं:
- मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट और भूमि-उपयोग योजना: पब्लिक ट्रांसपोर्ट, साइकिलिंग और पैदल यात्रा को बढ़ावा देकर सड़क दुर्घटना जोखिम को कम करना।
- सुरक्षित सड़क अवसंरचना: सड़कों को पैदल यात्री क्रॉसिंग, गति सीमाएं और अलग लेन जैसी सुरक्षा सुविधाओं के साथ डिज़ाइन करना।
- सुरक्षित वाहन: सभी वाहनों में इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल, ऑटोमेटिक ब्रेकिंग और दुर्घटना सुरक्षा तकनीकों जैसी अत्याधुनिक सड़क-सुरक्षा सुविधाओं को अनिवार्य बनाना।
- सुरक्षित सड़क उपयोग: यातायात कानूनों को सख्त बनाना, गति प्रबंधन को मजबूत करना, तथा ओवर-स्पीडिंग, नशे में ड्राइविंग व लापरवाह ड्राइविंग को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाना।
- दुर्घटना के बाद आपातकालीन प्रतिक्रिया: आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं, ट्रॉमा केयर, और पुनर्वास सुविधाओं को सुधारना ताकि सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु और स्थायी दिव्यांगता की आशंका को कम किया जा सके।