राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट 2025 (FISCAL HEALTH INDEX REPORT 2025) | Current Affairs | Vision IAS
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राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट 2025 (FISCAL HEALTH INDEX REPORT 2025)

Posted 05 Mar 2025

Updated 17 Mar 2025

19 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, नीति आयोग ने राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) रिपोर्ट 2025 जारी की है। इसका उद्देश्य राज्यों की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करना और सतत एवं मजबूत आर्थिक विकास के लिए नीतिगत सुधारों का मार्गदर्शन करना है।

अन्य संबंधित तथ्य

  • FHI रिपोर्ट भारतीय राज्यों की वित्तीय स्थिति पर केंद्रित एक वार्षिक प्रकाशन है। 
  • यह डेटा-आधारित अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। इसका उपयोग देश के समग्र राजकोषीय प्रशासन में सुधार, आर्थिक मजबूती और स्थिरता के लिए डेटा के आधार पर राज्य में नीतिगत कदम उठाने के लिए किया जाता है।

राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025 के बारे में

  • परिचय: यह सूचकांक राज्यों को समग्र राजकोषीय सूचकांक के आधार रैंकिंग प्रदान करता है। यह पांच प्रमुख उप-सूचकांकों और नौ लघु उप-सूचकांकों पर आधारित है (इन्फोग्राफिक देखें)।
  • राज्यों को FHI स्कोर के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
    • अचीवर: 50 से अधिक स्कोर।
    • फ्रंट रनर: 40 से अधिक और 50 से कम या इसके बराबर स्कोर।
    • परफ़ॉर्मर: 25 से अधिक और 40 से कम या इसके बराबर स्कोर।
    • आकांक्षी: 25 या इससे कम स्कोर।
  • इसमें नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के डेटा का उपयोग करके 18 प्रमुख राज्यों का विश्लेषण किया गया है। विशेष श्रेणी दर्जा वाले राज्यों और हिमालयी राज्यों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
  • विश्लेषण की अवधि: वित्तीय वर्ष 2022-23
  • प्रतिस्पर्धी गवर्नेंस इनिशिएटिव: सरकार विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए राज्यों की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास कर रही है, जिसमें वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना और प्रदर्शन सूचकांकों के माध्यम से प्रशासनिक सुधार सुनिश्चित करना शामिल है।

FHI 2025 के प्रमुख निष्कर्षों पर एक नज़र 

  • शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य: ओडिशा, छत्तीसगढ़ और गोवा।
  • कर-भिन्न राजस्व के मामले में प्रदर्शन: ओडिशा, झारखंड, गोवा और छत्तीसगढ़ ने गैर-कर राजस्व (नॉन-टैक्स रेवेन्यू) में मजबूत सुधार प्रदर्शित किए हैं, जो उनकी कुल राजस्व आय का 21% रहा।
  • पूंजीगत व्यय: मध्य प्रदेश, ओडिशा, गोवा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने अपनी विकास निधि का 27% पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित करके बेहतर पूंजी निवेश का प्रदर्शन किया।
  • ऋण की स्थिति: पश्चिम बंगाल और पंजाब में ऋण-GSDP अनुपात में वृद्धि के साथ चिंताजनक वित्तीय प्रवृत्तियां देखी गईं। इससे दीर्घकाल में उनके द्वारा ऋण चुकाने की क्षमता पर गंभीर सवाल पैदा हुए हैं।

FHI रिपोर्ट का महत्त्व

  • प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा: FHI राज्यों को अपनी राजकोषीय रणनीतियों को राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। इससे आर्थिक रूप से स्थिर और समृद्ध भारत के लक्ष्य में उनका योगदान सुनिश्चित होगा।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: यह सूचकांक इस तथ्य को सार्वजनिक करता है कि राज्य अपनी वित्तीय स्थिति को कितना प्रभावी तरीके से प्रबंधित कर रहे हैं। इससे राजकोषीय नीतियों और कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। 
  • तथ्यों के आधार पर नीति निर्माण: FHI, मात्रात्मक मानकों के आधार पर राजकोषीय स्वास्थ्य या स्थिति का आकलन करके नीति निर्माताओं को यह समझने में सहायता करता है कि किन राज्यों को सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने या संसाधनों के पुनः आवंटन की आवश्यकता है, ताकि बेहतर राजकोषीय परिणाम हासिल किए जा सकें।

निष्कर्ष

  • FHI पारदर्शिता, जवाबदेही और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देकर राज्यों को वित्तीय प्रबंधन में सर्वोत्तम कार्य-पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। इससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • FHI राज्यों को वित्तीय अनुशासन और स्थिरता की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिससे वे राजकोषीय विवेकशीलता और स्थिरता प्राप्त कर सकें।
  • अंततः, यह देश के "विकसित भारत @2047" के व्यापक विजन में योगदान देता है, जिससे देश को एक मजबूत और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर किया जा सके।
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  • नीति आयोग
  • राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट 2025
  • प्रतिस्पर्धी संघवाद
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