सुर्खियों में क्यों?
विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने "इंडिया कैन बी अ ग्लोबल पाथफाइंडर इन डिजिटल हेल्थ" नामक लेख जारी किया है। इसमें एक मजबूत वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के निर्माण में भारत की क्षमता पर प्रकाश डाला गया है।
अन्य संबंधित तथ्य
- भारत का स्वास्थ्य देखभाल सेवा क्षेत्रक शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को कम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसमें टेलीमेडिसिन, इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स (EHRs) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित निदान जैसी तकनीकों का लाभ उठाया जा रहा है।
- भारत मजबूत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) और निजी क्षेत्र के नवाचार के कारण वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्रक में अग्रणी देश के रूप में उभर रहा है। इससे लचीले और प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल समाधान विकसित करने में सहायता मिल रही है।
डिजिटल स्वास्थ्य क्या है?
- परिभाषा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डिजिटल स्वास्थ्य "स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों के विकास और उपयोग से संबंधित ज्ञान एवं अभ्यास का क्षेत्र" है।
- घटक:
- डिजिटल हेल्थ एप्लिकेशन: जैसे, इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHRs); टेलीमेडिसिन; स्वास्थ्य पहलुओं की निगरानी के लिए धारण करने योग्य उपकरण; स्वास्थ्य डेटा का प्रबंधन, भंडारण और विनियमन आदि के लिए स्वास्थ्य सूचना प्रणाली।
- डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियां: उदाहरण के लिए,
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और बिग डेटा – ये बड़े पैमाने पर डेटा पैटर्न का विश्लेषण करते हैं;
- इंटरनेट ऑफ मेडिकल थिंग्स (IoMT) – यह आपस में जुड़े हुए चिकित्सा उपकरणों का उपयोग करता है;
- ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) – यह चिकित्सा प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाता है।
WEF द्वारा उजागर किए गए भारत के डिजिटल हेल्थकेयर की प्रमुख विशेषताएँ
- इंटरऑपरेबिलिटी और मानकीकरण: हितधारकों के बीच डेटा का निर्बाध आदान-प्रदान सुनिश्चित करना।
- उदाहरण के लिए- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य विशिष्ट स्वास्थ्य IDs के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और रोगियों को एकीकृत करके एक राष्ट्रव्यापी डिजिटल स्वास्थ्य पारितंत्र बनाना है।
- उदाहरण के लिए- CoWIN प्लेटफ़ॉर्म ने टीकाकरण अभियानों में क्रांति लाकर 2 बिलियन से अधिक खुराकों (Doses) का प्रबंधन किया और बड़े पैमाने पर डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली के मानकीकरण के लिए वैश्विक मानदंड स्थापित किए।
- अन्य उदाहरणों में शामिल हैं: यू-विन पोर्टल, आरोग्य सेतु ऐप, ई-हॉस्पिटल एप्लिकेशन आदि।
- सार्वजनिक-निजी सहयोग: नवाचार और विस्तार के लिए साझेदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (National Digital Health Mission: NDHM) के तहत केंद्रीय स्तर पर हेल्थ फैसिलिटी रजिस्टर में देश भर के निजी एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के मानकीकृत डेटा विनिमय की सुविधा प्रदान की जाती है।
- वहनीयता और पहुंच पर ध्यान केंद्रित करना: स्वास्थ्य देखभाल सेवा को समावेशी बनाने के लिए डिजिटल साधनों का लाभ उठाया जा रहा है।
- उदाहरण के लिए- ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा दूरदराज के क्षेत्रों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा से जोड़ती है। इससे लाखों रोगियों को परामर्श देना संभव हो पाता है।
- उदाहरण के लिए, नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम (टेलीमानस/Tele MANAS) का उद्देश्य देश में गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं की उपलब्धता में सुधार करना है।
- वैश्विक प्रभाव (Global Influence): भारत के डिजिटल स्वास्थ्य मॉडल अन्य विकासशील देशों के लिए आदर्श मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए, भारत अपनी डिजिटल स्वास्थ्य अवसंरचना और विशाल जनसंख्या के कारण वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल समाधान विकसित करने के लिए एक आदर्श परीक्षण स्थल है। इससे स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती लागत एवं उस तक असमान पहुंच और चिरकालिक बीमारियों के बोझ जैसी सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है।
- इसके अलावा, सभी सेक्टर्स के बीच साझेदारी, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP), इत्यादि भारत के सफल डिजिटल हेल्थकेयर मॉडल्स हैं। इन मॉडल्स को स्वास्थ्य-देखभाल सेवा से जुड़ी समान चुनौतियों का सामना कर रहे विश्व के अन्य देशों (विशेषकर निम्न व मध्यम आय वाले देशों) में भी अपनाया जा सकता है।

डिजिटल स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी चिंताएं
- डिजिटल कार्ड्स में मानकीकरण का अभाव: भारत मौजूदा डिजिटल स्वास्थ्य कार्ड (जैसे, ESIC कार्ड, PM-JAY कार्ड आदि) की कवरेज और गुणवत्ता को मानकीकृत करने के लिए संघर्ष कर रहा है। इससे डेटा माइग्रेशन और ट्रांसफर संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
- समानता और उपलब्धता से जुड़ी समस्याएं: डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों और डिजिटल साक्षरता कौशल आदि की आसमान उपलब्धता के कारण विशेष रूप से ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों की वंचित आबादी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है।
- उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority: NHA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 30 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवा संस्थान खराब डेटा कनेक्टिविटी की समस्या का सामना कर रहे हैं। इससे चिकित्सा उपचार प्रभावित हो रहा है।
- निजता और सुरक्षा संबंधी समस्याएं: डेटा तक अनधिकृत पहुंच और साइबर हमले से रोगियों की निजता खतरे में पड़ सकती है और पहचान की चोरी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- उदाहरण के लिए, नवंबर 2022 में, AIIMS पर साइबर हमला हुआ, जिसके कारण AIIMS का सर्वर डाउन हो गया और आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (OPD) की सेवाएं बाधित हो गई। इस हमले के कारण लगभग 4 करोड़ रोगियों के संवेदनशील डेटा और मेडिकल रिकॉर्ड प्रभावित हुए।
- एल्गोरिथम पूर्वाग्रह (Algorithmic Bias): AI आधारित स्वास्थ्य तकनीकों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में अनुचित या भेदभावपूर्ण व्यवहार देखने को मिल सकता है। इससे स्वास्थ्य देखभाल सेवा में नस्लीय और नृजातीय असमानता बढ़ सकती है।
- उदाहरण के लिए, अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणालियों में AI ने स्वस्थ श्वेत रोगियों को प्राथमिकता दी, जबकि गंभीर रूप से बीमार अश्वेत रोगियों को उचित स्वास्थ्य देखभाल नहीं मिली। इसका कारण यह था कि रोगियों की देखभाल की जरूरतों के बजाय AI को लागत डेटा के आधार पर प्रशिक्षित किया गया था।
निष्कर्ष
भारत की डिजिटल स्वास्थ्य अवसंरचना में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और दक्षता बढ़ाने की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं। साथ ही, नीतिगत समर्थन (जैसे, मजबूत साइबर सुरक्षा फ्रेमवर्क आदि), अवसंरचना विकास (जैसे, भारतनेट, ब्लॉकचेन-आधारित स्वास्थ्य रिकॉर्ड आदि), सार्वजनिक-निजी साझेदारी, और तकनीकी प्रगति के निरंतर प्रयासों से भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में वैश्विक स्तर पर एक मान्यता प्राप्त डिजिटल हेल्थ मॉडल के रूप में विकसित होने की संभावना है। इससे भारत अन्य देशों के लिए डिजिटल स्वास्थ्य मामले में अन्य देशों के लिए नया मानदंड स्थापित कर सकता है।