पॉलीमेटैलिक सल्फाइड्स (POLYMETALLIC SULPHIDES)
भारत ने कार्ल्सबर्ग रिज में पॉलीमेटैलिक सल्फाइड्स (PMS) के लिए ISA के साथ 15 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
- यह इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (International Seabed Authority: ISA) के साथ भारत का तीसरा और PMS के लिए दूसरा खोज अनुबंध है।
- पिछला अनुबंध: भारत के पास मध्य हिंद महासागर बेसिन में पॉलीमेटैलिक नॉड्यूल्स और हिंद महासागर रिज में PMS के लिए पहले से ही अनुबंध हैं।
- पॉलीमेटैलिक नॉड्यूल्स को मैंगनीज नॉड्यूल्स भी कहते हैं। ये चट्टान जैसी संरचनाएं होती हैं, जो लोहे और मैंगनीज हाइड्रॉक्साइड की संकेंद्रित परतों से बनी होती हैं। ये परतें शार्क के दांत या किसी खोल के चारों ओर संचित होने लगती हैं।
- वैश्विक पहला लाइसेंस: यह कार्ल्सबर्ग रिज में पॉलीमेटैलिक सल्फाइड नॉड्यूल्स की खोज के लिए विश्व भर में दिया गया पहला लाइसेंस है।
- कार्ल्सबर्ग रिज: यह अरब सागर और उत्तर-पश्चिम हिंद महासागर में 3,00,000 वर्ग किमी का क्षेत्र है।
- यह भारतीय और अरबी विवर्तनिक प्लेटों के बीच की सीमा बनाता है। यह सीमा रॉड्रिक्स द्वीप के पास से लेकर ओवेन फ्रैक्चर क्षेत्र तक विस्तारित है।
- अफनासी-निकितिन सागर (ANS): भारत ने ANS माउंट के लिए भी आवेदन किया है, जो अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ है।
- ANS मध्य हिंद महासागर में स्थित है। इस क्षेत्र पर श्रीलंका ने भी खोज अधिकारों के लिए दावा किया है।
पॉलीमेटैलिक सल्फाइड (PMS) के बारे में
- ये समुद्र नितल पर पाए जाने वाली तांबा, जस्ता, सोना और चांदी जैसी धातुओं के समृद्ध स्रोत हैं।
- ये निक्षेप उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां पृथ्वी के मेंटल से गर्म व खनिज-समृद्ध तरल पदार्थ समुद्र में निर्मुक्त होता है, जिससे धातु सल्फाइड्स का जमाव होता है।

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- International Seabed Authority
- Central Indian Ocean
हॉलमार्किंग (HALLMARKING)
भारत सरकार ने संशोधित मानक के तहत चांदी के आभूषणों के लिए स्वैच्छिक हॉलमार्किंग यूनिक आइडेंटिफिकेशन (Hallmarking Unique Identification: HUID)-आधारित हॉलमार्किंग शुरू की है। इससे आभूषणों की शुद्धता सुनिश्चित होगी। यह सोने की हॉलमार्किंग प्रणाली के अनुरूप है।
हॉलमार्किंग के बारे में
- हॉलमार्किंग किसी भी बहुमूल्य धातु से बनी वस्तु में उस धातु की मात्रा को सटीक रूप से निर्धारित करने और आधिकारिक तौर पर रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया है।
- यह उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के साथ-साथ आभूषणों और वस्तुओं की प्रामाणिकता, गुणवत्ता और सही पहचान सुनिश्चित करती है।
- भारत में इसे भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा विनियमित किया जाता है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के बारे में
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- यह केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय मानक निकाय है।
- इसकी स्थापना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 के तहत की गयी है और अब यह BIS अधिनियम 2016 के तहत संचालित होता है।
- इसके मुख्य कार्य हैं: मानक निर्धारित करना, उत्पादों को प्रमाणित करना (जैसे ISI मार्क और हॉलमार्किंग), और परीक्षण प्रयोगशालाओं का संचालन करना।
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- Bureau of Indian Standards
- BIS Act 2016
अफीम की खेती (OPIUM CULTIVATION)
केंद्र सरकार ने अफीम की खेती के लिए ‘वार्षिक लाइसेंसिंग नीति 2025-26’ की घोषणा की। यह लाइसेंसिंग नीति स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS), 1985 (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances (NDPS) Rules, 1985) के तहत हर साल जारी की जाती है। ये नियम NDPS अधिनियम, 1985 के तहत बनाए गए हैं।
अफीम के बारे में
- अफीम पोस्ता (Opium poppy) के पौधे से अफीम गोंद (Opium gum) को निकाला जाता है। इसमें कई अत्यावश्यक एल्केलॉइड्स जैसे मॉर्फिन, कोडीन और थेबाइन होते हैं।
- एल्केलॉइड्स: प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कार्बनिक नाइट्रोजन युक्त यौगिक होते हैं।
- मॉर्फिन का उपयोग सामान्यतः दर्द निवारक दवा के रूप में किया जाता है, जबकि कोडीन का उपयोग खांसी की दवा (कफ सिरप) बनाने में किया जाता है।
- इसे खाद्य योग्य बीज और बीज से तेल निकालने के लिए भी उगाया जाता है।
- भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसे यूनाइटेड नेशंस सिंगल कन्वेंशन ऑन नारकोटिक ड्रग्स (1961) द्वारा अफीम गोंद का उत्पादन करने के लिए अधिकृत किया गया है।
- उल्लेखनीय हैं कि 11 अन्य देश अफीम पोस्ता की खेती करते हैं, लेकिन अफीम गोंद नहीं निकालते हैं।

- Tags :
- NDPS Act, 1985
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राज्य वित्त 2022-23 रिपोर्ट (State Finances 2022-23 Report)
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने राज्य वित्त 2022-23 रिपोर्ट जारी की।
यह 10 वर्ष की अवधि (2013-14 से 2022-23) में सभी 28 राज्यों के लिए राजकोषीय मापदंडों के संबंध में व्यापक डेटा, विश्लेषण और रुझान प्रदान करती है। यह रिपोर्ट अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है।
मुख्य निष्कर्ष
- वर्ष 2022-23 में राज्यों का कुल ऋण देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 22.17 % था।
- राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम (2003) मानदंड: राज्य सरकारों का ऋण 2024-25 तक GDP के 20% तक होना चाहिए।
- ऋण-GDP अनुपात: यह सर्वाधिक 40.35 प्रतिशत पंजाब में दर्ज किया गया। इसके बाद नागालैंड (37.15 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (33.70 प्रतिशत) का स्थान है।
- राजकोषीय घाटा: सभी 28 राज्यों में राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया है। यह गुजरात में GSDP के 0.76% से लेकर हिमाचल प्रदेश में GSDP के 6.46% तक रहा है।
- FRBM मानदंड: राज्यों द्वारा वित्त वर्ष 2022-23 में GSDP के 3.5% का राजकोषीय घाटा हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया था।
- राजस्व सृजन क्षमता में व्यापक अंतर: राज्यों के राजस्व में स्वयं के कर (State's’ Own Tax Revenue: SOTR) की हिस्सेदारी हरियाणा में 70% है, जबकि अरुणाचल प्रदेश में यह मात्र 9% है।

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- State Finances 2022-23 Report
वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) 2023-24 के परिणाम जारी किए गए {ANNUAL SURVEY OF INDUSTRIES (ASI) RESULTS FOR 2023-24 RELEASED}
सर्वेक्षण के परिणाम केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी किए गए हैं।
- सर्वेक्षण का उद्देश्य विनिर्माण उद्योगों की संरचना, वृद्धि और घटकों में आए बदलावों का अध्ययन करना तथा इनमें मूल्य-वर्धन, रोजगार सृजन और पूंजी निर्माण पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करना है।
- वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण को प्रतिवर्ष सांख्यिकी संग्रहण (संशोधन) अधिनियम, 2017 के तहत आयोजित किया जाता है।
- इस सर्वेक्षण में निम्नलिखित विनिर्माण इकाइयां शामिल जाती हैं:
- कारखाना अधिनियम, 1948 के तहत पंजीकृत कारखाने;
- बीड़ी और सिगार श्रमिक (नियोजन की शर्तें) अधिनियम, 1966 के तहत बीड़ी और सिगार निर्माण इकाइयां; तथा
- वैसे विद्युत उपक्रम जो केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) के पास पंजीकृत नहीं हैं।
- रक्षा प्रतिष्ठान, तेल भंडारण व वितरण डिपो, रेलवे वर्कशॉप, गैस भंडारण जैसी विभागीय इकाइयां आदि इस सर्वेक्षण में शामिल नहीं किए जाते हैं।
- सर्वेक्षण के परिणाम राज्यों और प्रमुख उद्योगों के स्तर पर तैयार किए गए हैं।
सर्वेक्षण के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- सकल मूल्यवर्धन (GVA) की दृष्टि से शीर्ष 5 उद्योग: आधारभूत धातु, मोटर वाहन, रसायन एवं रासायनिक उत्पाद, खाद्य उत्पाद और औषधि उत्पाद।
- रोजगार देने के मामले में शीर्ष 5 राज्य: तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक।
- सकल मूल्यवर्धन (GVA) में पिछले वर्ष की तुलना में 11.89% वृद्धि दर्ज की गई है।
- औद्योगिक उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में 5.80% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
- नियोजित कर्मियों में प्रति व्यक्ति औसत पारिश्रमिक में 2022-23 की तुलना में 5.6% की वृद्धि दर्ज की गई है।

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- Annual Survey of Industries (ASI)
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औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली (IPRS) 3.0 {Industrial Park Rating System (IPRS) 3.0}
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली (IPRS) 3.0 की शुरुआत की है।
- IPRS को 2018 में एक पायलट चरण में लागू किया गया था तथा IPRS 2.0 की शुरुआत 2021 में की गई थी।
- IPRS 3.0 ने नए मापदंडों के साथ एक विस्तारित ढांचा लागू किया है। इसके अंतर्गत संधारणीयता, हरित अवसंरचना, लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी, डिजिटलीकरण, कौशल लिंकेज और बेहतर किरायेदार प्रतिपुष्टि शामिल किए गए हैं।
औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली (IPRS) 3.0 के बारे में
- उद्देश्य: भारत के औद्योगिक पारितंत्र को सशक्त बनाना और औद्योगिक अवसंरचना की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना।
- विकास: इसे उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा, एशियाई विकास बैंक (ADB) के सहयोग से विकसित किया गया है।
- औद्योगिक पार्कों का वर्गीकरण: इनके प्रदर्शन के प्रमुख संकेतकों के आधार पर इन्हें तीन श्रेणियों अर्थात अग्रणी (Leaders), चैलेंजर्स (Challengers), और आकांक्षी (Aspirers) में वर्गीकृत किया गया है।
- IPRS, इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक (पूर्व औद्योगिक सूचना प्रणाली) का एक अभिन्न हिस्सा है।
- इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक (India Industrial Land Bank: IILB) GIS प्लेटफॉर्म पर देश भर के संपूर्ण औद्योगिक अवसंरचनाओं का मानचित्रण करके सभी औद्योगिक जानकारियों के लिए एक एकल-बिंदु (वन-स्टॉप) प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है।
औद्योगिक पार्कों के बारे में
- औद्योगिक पार्क ऐसे आर्थिक क्षेत्र होते हैं जिन्हें विशेष रूप से औद्योगिक गतिविधियों के एक समूह को समायोजित करने के लिए विकसित किया जाता है। उदाहरण: नरेला औद्योगिक क्षेत्र।
- औद्योगिक पार्कों को विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), उद्यम क्षेत्र आदि नामों से भी जाना जाता है।
- भारत में 4000 से अधिक परिचालनरत औद्योगिक पार्क हैं।
- राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत सरकार सक्रिय रूप से 20 प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्क और स्मार्ट शहर विकसित कर रही है।
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- Industrial Park Rating System (IPRS) 3.0
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वित्त मंत्रालय ने बड़े जहाजों को 'अवसंरचना' का दर्जा प्रदान किया (MINISTRY OF FINANCE GIVES INFRASTRUCTURE STATUS TO LARGE SHIPS)
वित्त मंत्रालय ने बड़े जहाजों को विनिर्माण क्षेत्रक की इंफ्रास्ट्रक्चर हार्मोनॉइज्ड मास्टर लिस्ट (Harmonized Master List: HML) में 'ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स' श्रेणी के तहत शामिल किया। इसका उद्देश्य घरेलू जहाज निर्माण और समुद्री उद्योग को मज़बूत करना है।
- एक बड़े जहाज को निम्नलिखित मानदंडों के तहत वाणिज्यिक जहाज घोषित किया जाता है:
- 10,000 या उससे अधिक ग्रॉस टन (GT) भार वाले जहाज, जो भारतीय स्वामित्व और ध्वज के अधीन संचालित होते हों, या
- 1,500 या उससे अधिक ग्रॉस टन (GT) भार वाले जहाज, जो भारत में बने हों और भारतीय स्वामित्व एवं ध्वज के अधीन संचालित होते हों।

- HML में शामिल होने का महत्त्व:
- इससे आसान शर्तों पर अवसंरचना ऋण तक बढ़ी हुई सीमा सहित पहुंच प्राप्त होती है;
- बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) के रूप में बड़ी मात्रा में धन तक पहुंच प्राप्त होती है;
- व्यवहार्यता अंतराल वित्त-पोषण की सुविधा प्राप्त होती है;
- कर प्रोत्साहन प्राप्त होते हैं आदि।
भारत के पोत परिवहन क्षेत्रक की स्थिति
- विदेशी निर्भरता: भारत का 95% व्यापार विदेशी जहाजों पर निर्भर है। इसके चलते भारत हर साल विदेशी पोत परिवहन कंपनियों को शिपिंग सेवाओं के लिए लगभग 75 बिलियन डॉलर का भुगतान करता है।
- जहाज निर्माण में हिस्सेदारी: वर्तमान में, वैश्विक जहाज निर्माण में भारत की हिस्सेदारी केवल 0.06% है।
- लक्ष्य: सरकार का लक्ष्य 2047 तक जहाज निर्माण करने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल होना है। मैरीटाइम अमृत काल विज़न 2047 के अनुसार, सरकार का अनुमान है कि 2047 तक स्वदेशी पोत परिवहन और जहाज निर्माण क्षमताओं के निर्माण में 54 ट्रिलियन डॉलर का निवेश होगा।
- जहाजरानी क्षेत्रक की समस्याएं: उच्च उधार लागत के साथ पूंजी की कमी, पुराने जहाजों का बेड़ा, कर संबंधी विसंगतियां, कौशल की कमी, आदि।
- Tags :
- Harmonized Master List (HML) of Infrastructure Sector
- infrastructure status to Large Ships
कैबिनेट ने जहाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पैकेज को मंजूरी प्रदान की (CABINET APPROVES PACKAGE TO BOOST SHIPBUILDING)
- यह पैकेज चार-स्तंभीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- घरेलू क्षमता को मजबूत करना,
- दीर्घकालिक वित्त-पोषण में सुधार करना,
- ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड शिपयार्ड विकास को बढ़ावा देना,
- तकनीकी क्षमताओं और कौशल को बढ़ाना, तथा कानूनी, कराधान एवं नीतिगत सुधारों को लागू करना।
- पैकेज में शामिल है:
- जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना (SBFAS) का विस्तार 31 मार्च, 2036 तक कर दिया गया है। इसका उद्देश्य जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करना है।
- जहाज निर्माण क्षेत्रक के लिए दीर्घकालिक वित्त-पोषण हेतु एक समुद्री विकास कोष (MDF) स्थापित किया जाएगा।
- MDF का उपयोग जहाज निर्माण, जहाज निर्माण क्लस्टर्स, जहाज मरम्मत, जहाज स्वामित्व, बंदरगाह विस्तार, अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन, और तटीय नौवहन में होगा।
- घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को सालाना 4.5 मिलियन सकल टन तक विस्तारित करने के लिए जहाज निर्माण विकास योजना (SbDS) आरंभ की जाएगी।
- सभी पहलों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन भी शुरू किया जाएगा।
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- Package to Boost Shipbuilding
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भारती पहल (BHARATI INITIATIVE)
APEDA ने कृषि खाद्य स्टार्टअप्स को समर्थन देने और भारत के कृषि खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारती (BHARATI) पहल की शुरुआत की है।
BHARATI के बारे में
- BHARATI का अर्थ है- भारत हब फॉर एग्रीटेक, रेज़िलियंस, एडवांसमेंट एंड इन्क्यूबेशन फॉर एक्सपोर्ट एनेबलमेंट।
- मुख्य उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य 100 कृषि-खाद्य स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देना और 2030 तक 50 बिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य प्राप्त करना है।
- चुने गए स्टार्ट-अप्स 3 महीने के विशेष कार्यक्रम से गुजरेंगे, जिसमें उत्पाद विकास, निर्यात की तैयारी, विनियमों का पालन, और बाजार तक पहुंच जैसे प्रशिक्षण शामिल होंगे।
- ऐसे स्टार्ट-अप्स को आकर्षित करना, जो उन्नत तकनीकों पर काम कर रहे हों: जैसे- AI आधारित गुणवत्ता नियंत्रण, ब्लॉकचेन से जुड़ी ट्रेसेब्लिटी (उत्पाद की पूरी जानकारी ट्रैक करना), IoT आधारित कोल्ड चेन, एग्री-फिनटेक आदि।
- उच्च-मूल्य श्रेणियों में नवाचार को बढ़ावा देना: जैसे- GI टैग किए गए कृषि उत्पाद, ऑर्गेनिक फूड्स, सुपरफूड्स, नए तरह के प्रोसेस्ड भारतीय कृषि-खाद्य उत्पाद, पशुपालन से जुड़े उत्पाद, आयुष उत्पाद आदि।
- निर्यात से जुड़ी चुनौतियों का समाधान निकालना: जैसे- उत्पाद विकास, मूल्य संवर्धन, गुणवत्ता आश्वासन, जल्दी खराब होने वाले उत्पादों की समस्या, बर्बादी और लॉजिस्टिक्स से जुड़े मुद्दे आदि।
- इसका उद्देश्य 100 कृषि-खाद्य स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देना और 2030 तक 50 बिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य प्राप्त करना है।

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- BHARATI Initiative