ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) 2025 {GLOBAL INNOVATION INDEX (GII) 2025}
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन ने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) 2025 जारी किया।
ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) दुनिया के 139 देशों के नवाचार प्रदर्शन का मापन करता है। ऐसा निवेश पैटर्न, तकनीकी प्रगति, अपनाने की दर और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के आधार पर किया जाता है।
- इस सूचकांक की शुरुआत 2007 में की गई थी। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (STI) नीतियों के लिए एक आधिकारिक संदर्भ के रूप में मान्यता प्राप्त है।
GII 2025 के प्रमुख बिंदुओं पर एक नजर:
- भारत का उदय: 2015 में इस सूचकांक में भारत की रैंक 81वीं थी, जो वर्तमान में 38वीं हो गई है।
- भारत, वियतनाम के साथ सबसे लंबे समय तक बेहतर प्रदर्शन करने वाला देश रहा है। भारत लगातार 15वें साल अपने विकास स्तर की उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
- सबसे नवोन्मेषी अर्थव्यवस्थाएं: सूचकांक में शीर्ष स्थान पर स्विट्ज़रलैंड है। उसके बाद स्वीडन, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर का स्थान है।
- शीर्ष नवाचार क्लस्टर्स: शेन्ज़ेन-हांगकांग-गुआंगझोउ (चीन और हांगकांग) तथा उसके बाद टोक्यो-योकोहामा (जापान), तथा सैन जोस-सैन फ्रांसिस्को (संयुक्त राज्य अमेरिका) हैं।
- भारत के चार क्लस्टर्स शीर्ष 100 में हैं: बेंगलुरु (21वाँ), दिल्ली (26वाँ), मुंबई (46वाँ) और चेन्नई (84वाँ)।
नवाचार में सुधार के लिए भारत की पहलें

- स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम: यह स्टार्ट-अप्स को आरंभिक सहायता, फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से वित्त-पोषण, क्रेडिट गारंटी, कर छूट आदि प्रदान करता है।
- अटल इनोवेशन मिशन: यह विभिन्न आर्थिक क्षेत्रकों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नए कार्यक्रम एवं नीतियां तैयार करता है।
- नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशंस (NIDHI/ निधि): यह सफल स्टार्ट-अप्स में विचारों को पोषित करने के लिए एक छत्र कार्यक्रम है।
- अन्य: एक्सीलरेटिंग ग्रोथ ऑफ न्यू इंडियाज़ इनोवेशंस (Accelerating Growth of New India's Innovations: AGNIi) मिशन, नीति फ्रंटियर टेक रिपॉजिटरी, प्रधान मंत्री रिसर्च फेलोशिप योजना, आदि।
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विश्व व्यापार रिपोर्ट 2025 (WORLD TRADE REPORT 2025)
यह रिपोर्ट विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने जारी की है। इस रिपोर्ट में AI की रूपांतरणकारी क्षमता को उजागर किया गया है, जो सामान्य प्रयोजन वाली तकनीक के रूप में अर्थव्यवस्थाओं (देशों) में समृद्धि और आय के वितरण को नया रूप दे सकती है।
AI व्यापार और समावेशी विकास को कैसे बढ़ावा दे सकता है?
- व्यापार की लागत में कमी और उत्पादकता में सुधार करके: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाकर, विनियामक अनुपालन को सरल बनाकर, भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करके और कॉन्ट्रैक्ट इंफोर्समेंट में सुधार करके 2040 तक वैश्विक व्यापार में 34-37% की वृद्धि कर सकता है।
- 'स्किल प्रीमियम' को कम करके: AI से मध्यम और उच्च-कौशल वाले कामगारों द्वारा किए जाने वाले कार्यों में कमी आने की उम्मीद है, जबकि निम्न-कौशल वाले कामगारों पर इसका कम प्रभाव पड़ेगा। इससे उच्च-कौशल युक्त श्रम की सापेक्ष मांग कम होगी।
- स्किल प्रीमियम: यह उच्च कौशल और निम्न कौशल वाले कामगारों के वेतन का अनुपात होता है, जिसके वैश्विक स्तर पर 3-4% तक घटने का अनुमान है।
- ज्ञान का प्रसार: जो अर्थव्यवस्थाएं व्यापार के लिए अधिक खुली होती हैं, उनमें नवाचार का अधिक मजबूत प्रभाव देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए- डिजिटल रूप से प्रदान की जाने वाली सेवाओं के व्यापार में 10% की वृद्धि से सीमा-पारीय AI पेटेंट के मामलों में 2.6% की वृद्धि होती है।
- विकास के नए पथ: जिन अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण खनिज या नवीकरणीय ऊर्जा प्रचुर मात्रा में हैं, वे हार्डवेयर विनिर्माण, डेटा होस्टिंग और अन्य श्रम-प्रधान गतिविधियों जैसे डेटा संग्रहण एवं एनोटेशन के लिए हब बन सकती हैं।
इससे संबंधित ऐसी चिंताएं जो तत्काल नीतिगत कार्रवाई की मांग करती हैं
- AI का संकेंद्रण: AI के विकास पर कुछ ही कंपनियों और अर्थव्यवस्थाओं का प्रभुत्व है, जिससे इसकी न्यायसंगत उपलब्धता के समक्ष जोखिम उत्पन्न होता है।
- श्रम बाजार में व्यवधान: कुछ कामगारों की जगह AI के उपयोग से वे विस्थापित हो सकते हैं। इसके लिए शिक्षा में निवेश और श्रम बाजार संबंधी बेहतर एवं सक्रिय नीतियों की आवश्यकता है, ताकि कामगारों को अनुकूलन में मदद मिल सके।
निष्कर्ष
AI और व्यापार की समावेशी क्षमता को साकार करने के लिए, सक्रिय एवं समन्वित नीतियों की आवश्यकता है। इसमें डिजिटल अवसंरचना और कौशल में निवेश करना, विनियामक समानता को बढ़ावा देना, प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना और WTO जैसे संगठनों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का लाभ उठाना शामिल होना चाहिए।
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OECD की इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट (OECD ECONOMIC OUTLOOK REPORT)
OECD ने वर्ष 2025 के लिए भारत की GDP के पूर्वानुमान को बढ़ाकर 6.7% कर दिया है, जबकि मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.9% कर दिया है।
इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के बारे में:
- जारीकर्ता: आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development: OECD);
- अवधि: यह रिपोर्ट वर्ष में दो बार प्रकाशित होती है। यह रिपोर्ट वैश्विक और राष्ट्रीय आर्थिक रुझानों का विश्लेषण करती है।
- कवरेज: इसमें GDP, मुद्रास्फीति, रोजगार, व्यापार और निवेश का विश्लेषण शामिल होता है।
- जोखिम: रिपोर्ट में मुद्रास्फीति का दबाव, वित्तीय अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव से जुड़े जोखिमों को रेखांकित किया जाता है।
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- OECD Economic Outlook Report