GDP के आधार वर्ष में संशोधन (GDP BASE YEAR REVISION) | Current Affairs | Vision IAS
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GDP के आधार वर्ष में संशोधन (GDP BASE YEAR REVISION)

04 Feb 2025
18 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का आधार वर्ष 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने के लिए राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (National Accounts Statistics - NAS) पर 26 सदस्यीय सलाहकार समिति का गठन किया है। 

अन्य संबंधित तथ्य

  • यह समिति बिस्वनाथ गोलदार की अध्यक्षता में राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (NAS) पर गठित की गई है। इस समिति का उद्देश्य नए NAS संकलन के लिए डेटा स्रोतों की पहचान करना और गणना पद्धतियों को बेहतर बनाना है।
    • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office: CSO) हर साल राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी जारी करता है। इसमें अलग-अलग तरीकों से GDP का अनुमान प्रस्तुत किया जाता है।
  • NAS पर गठित यह सलाहकार समिति GDP को मुद्रास्फीति और औद्योगिक सूचकांकों के साथ समायोजित करने हेतु डेटा स्रोतों की समीक्षा करेगी।
  • इससे पहले 2015 में आधार वर्ष में संशोधन हुआ था। तब आधार वर्ष को 2004-05 से बदलकर 2011-12 कर दिया गया था।
    • नई श्रृंखला में, CSO ने कारक लागत (फैक्टर कॉस्ट) पर GDP की गणना समाप्त कर दी थी। इसकी जगह उद्योग-वार अनुमानों को बुनियादी मूल्य (बेसिक प्राइस) पर सकल मूल्य वर्धन (Gross Value Added: GVA) के रूप में मापने की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति अपनाई गई है।

आधार वर्ष (Base Year) क्या है?

  • आधार वर्ष वह संदर्भ वर्ष (Reference year) होता है जिसकी कीमतों का उपयोग राष्ट्रीय आय में वास्तविक वृद्धि (मुद्रास्फीति को घटाकर) की गणना के लिए किया जाता है।
  • इस प्रकार, आधार वर्ष GDP की गणना के लिए इस्तेमाल होने वाला एक बेंचमार्क है।
    • उदाहरण के लिए, यदि 2011-12 आधार वर्ष है, तो अन्य वर्षों की GDP को 2011-12 की कीमतों के आधार पर समायोजित किया जाता है।
  • आधार वर्ष में संशोधन अन्य प्रमुख संकेतकों के लिए भी प्रासंगिक है, जैसे-
    • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production: IIP),
    • थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index: WPI), और
    • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index: CPI)

GDP के बारे में

  • GDP को मापने का तरीका: GDP को सैद्धांतिक रूप से तीन तरीकों से मापा जाता है और सभी तरीकों से समान परिणाम मिलना चाहिए (इन्फोग्राफिक देखें)।
    • नॉमिनल GDP: इसे चालू बाजार कीमतों पर मापा जाता है। इसमें मुद्रास्फीति का समायोजन नहीं किया जाता है।
    • रियल GDP: इसे आधार वर्ष की कीमतों का उपयोग करके और मुद्रास्फीति को समायोजित कर मापा जाता है। यह वास्तविक आर्थिक संवृद्धि को प्रदर्शित करती है।
  • GDP की सीमाएं 
    • इसकी गणना में गैर-बाजार आधारित गतिविधियां शामिल नहीं होतीं हैं, जैसे- घरेलू कामकाज।
    • इसमें आय असमानता की उपेक्षा की जाती है।
    • पर्यावरण को होने वाले नुकसान की उपेक्षा की जाती है।
    • अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के योगदान को सही तरीके से नहीं मापा जाता है।
    • यह कल्याण या जीवन स्तर का आकलन नहीं करती है।

GDP से जुड़े अन्य प्रासंगिक तथ्य

चेन आधारित GDP गणना 

  • GDP को मापने के इस तरीके में रोलिंग आधार वर्ष (Rolling Base Year) का उपयोग करके आर्थिक गतिविधियों में अल्पकालिक परिवर्तनों को शामिल किया जाता है।
  • इसमें आधार वर्ष को नियमित रूप से (अक्सर वार्षिक रूप से) अपडेट किया जाता है, जिससे एक निरंतर संवृद्धि दर की श्रृंखला प्राप्त होती है।
  • यह प्रणाली संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, और यूरोपीय संघ जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में प्रचलित है।
  • हालांकि, इसे निम्नलिखित वजहों से भारत के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है:
    • कृषि उत्पादों और ईंधन की अस्थिर कीमतों के कारण यह अधिक प्रभावी नहीं हो सकती।
    • यह प्रक्रिया जटिल और अधिक संसाधन-उपयोग करने वाली है। इस तरह यह सीमित संसाधनों वाले देश के लिए चुनौतीपूर्ण है।
    • दीर्घकालिक डेटा की तुलना करने में कठिनाई उत्पन्न होती है।

GDP लेखांकन मानक के बारे में

  • वैश्विक स्तर पर मानकीकरण और तुलना के लिए, देश सिस्टम ऑफ नेशनल एकाउंट्स (SNA) अपनाते हैं। इसे विस्तृत परामर्श के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा विकसित किया गया है।  
  • SNA 2008: यह राष्ट्रीय लेखा के लिए नवीनतम अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकीय मानक है, जिसे 2009 में संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग द्वारा अपनाया गया था। यह पहले के 1993 SNA का अपडेटेड संस्करण है।
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