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भारत में पर्यटन क्षेत्रक (TOURISM SECTOR IN INDIA)

04 Feb 2025
32 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने देश भर के 23 राज्यों में कम प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के विकास के लिए 3295.76 करोड़ रुपये की 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

अन्य संबंधित तथ्य

  • इस पहल का उद्देश्य अत्यधिक पर्यटकों वाले पर्यटन स्थलों पर दबाव को कम करना, संतुलित तरीके से पर्यटकों के वितरण को बढ़ावा देना, पर्यटकों के अनुभवों को बेहतर बनाना, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देना और देश में पर्यटन संबंधी अवसंरचनाओं का विकास करके संधारणीय पर्यटन का विकास सुनिश्चित करना है।
  • ये परियोजनाएं आइकॉनिक पर्यटन केंद्रों को वैश्विक स्तर का बनाने के लिए पर्यटन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं। इन परियोजनाओं का केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की "पूंजी निवेश के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष सहायता (Special Assistance to States/Union Territories for Capital Investment: SASCI)" योजना के आइकॉनिक केंद्रों का विकास घटक के तहत विकास किया जा रहा है। 
    • SASCI योजना की घोषणा पहली बार केंद्रीय बजट 2020-21 में की गई थी। इस योजना के पर्यटन घटक का उद्देश्य देश में आइकॉनिक पर्यटन केंद्रों को व्यापक रूप से विकसित करने एवं वैश्विक स्तर पर उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने के लिए राज्य सरकारों को पूंजीगत निवेश हेतु 50 वर्षों की अवधि के लिए ब्याज मुक्त दीर्घकालिक कर्ज प्रदान करना है। 

पर्यटन क्षेत्रक के समक्ष मौजूद चुनौतियां

  • अवसंरचना की कमी: दूरदराज के पर्यटन स्थलों तक पर्याप्त सड़क, रेल और हवाई संपर्क नहीं है तथा पर्यटन स्थलों पर स्वच्छ शौचालय, पेयजल और साइनेज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, आदि।
    • उदाहरण के लिए, पर्यटन से जुड़े 41% हितधारकों का कहना है कि भारत में अवसंरचना की कमी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में एक बड़ी बाधा है। (केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय का आकलन, 2023)
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएं: पर्यटकों को निशाना बनाकर उनका उत्पीड़न करना, चोरी और स्कैम्स  जैसी घटनाएं अक्सर रिपोर्ट की जाती हैं; महिलाओं की सुरक्षा संबंधी चिंताएं महिला पर्यटकों, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को अकेले यात्रा करने से रोकती हैं; आदि।
  • पर्यावरण को क्षति: हिमालयी क्षेत्र जैसे पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्रों में अत्यधिक और अनियंत्रित संख्या में पर्यटकों की आवाजाही से जीव-जंतुओं के पर्यावासों को नुकसान पहुंचता है, प्रदूषण फैलता है और संसाधनों पर दबाव पड़ता है।
    • इसके अलावा, लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में उचित अपशिष्ट निपटान प्रणालियों की कमी से जलग्रहण क्षेत्रों और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचता है। उदाहरण के लिए, मनाली जैसे हिल स्टेशन कूड़े की समस्या से ग्रस्त हैं।
  • पर्यटन की मौसमी प्रकृति: मौसम के अनुसार पर्यटन की गतिविधियों में उतार-चढ़ाव के कारण कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे- पीक सीजन के दौरान पर्यटन स्थलों में अत्यधिक भीड़भाड़, सेवाओं की कमी और ऑफ-सीजन में सुविधाओं का कम उपयोग, जिससे पर्यटन पर  निर्भर लोग प्रभावित होते हैं।
    • उदाहरण के लिए, उत्तराखंड में चार धाम तीर्थयात्रा
  • कोविड महामारी के बाद की रिकवरी से जुड़े हुए मुद्दे: संयुक्त राष्ट्र पर्यटन बैरोमीटर के अनुसार, जनवरी से सितंबर 2024 तक एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का आगमन 2019 के स्तर के केवल 85% तक ही पहुंच पाया है।

भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलें

  • अवसंरचनाओं का विकास: 
    • स्वदेश दर्शन 2.0 योजना: इसका उद्देश्य संधारणीय और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देना है।
    • प्रसाद (PRASHAD) योजना: इसका उद्देश्य तीर्थ स्थलों के आस-पास अवसंरचना का विकास करना है।
    • RCS-उड़ान: इसे क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने हेतु शुरू किया गया है।
  • नीतिगत और कानूनी फ्रेमवर्क: राष्ट्रीय पर्यटन नीति जारी की गई है। यह नीति संधारणीय और समावेशी पर्यटन के विकास एवं विभिन्न श्रेणियों के तहत पर्यटकों के लिए ई-वीजा सुविधा आदि पर केंद्रित है।
  • विशिष्ट पर्यटन (Niche tourism): चिकित्सा और वेलनेस पर्यटन के लिए पारंपरिक चिकित्सा पद्धति; सुंदरबन और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यानों में इको-टूरिज्म, हिल स्टेशनों में साहसिक पर्यटन आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: इसके लिए हुनर से रोजगार तक कार्यक्रम को शुरू किया गया है, साथ ही पर्यटकों को भाषा संबंधी प्रशिक्षण प्रदान करने लिए एक ऑनलाइन कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है, आदि।
  • अभियान: अतुल्य भारत अभियान, देखो अपना देश, भारत भ्रमण वर्ष 2023, भारत पर्व 2024, सतत पर्यटन के लिए ट्रैवल फॉर LiFE जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): इसमें PPP मॉडल के माध्यम से अडॉप्ट ए हेरिटेज स्कीम, लग्जरी ट्रेन (पैलेस ऑन व्हील्स, डेक्कन ओडिसी, आदि) का संचालन, आदि शामिल हैं।

 

आगे की राह

  • कनेक्टिविटी और एक्सेसिबिलिटी को बेहतर बनाना: ट्रांजिट ओरिएंटेड विकास को बढ़ावा देना, पर्यटन स्थलों और शहरों को पैदल और साइकिल से चलने योग्य बनाना, लास्ट-माइल कनेक्टिविटी में सुधार हेतु बहुभाषी साइनेज, वाई-फाई जोन जैसी पर्यटक-अनुकूल सुविधाएं विकसित करने पर ध्यान देने की जरूरत है।
  • विशिष्ट पर्यटन को बढ़ावा देना: स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में फार्म स्टे और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए।
    • उत्तराखंड, केरल जैसे राज्यों में वेलनेस क्लस्टर का विकास करना चाहिए; वैश्विक फिल्म उद्योग को फिल्म शूटिंग की अनुमति देने के लिए सिंगल-विंडो क्लीयरेंस की सुविधा प्रदान करनी चाहिए, आदि।
  • संधारणीय पर्यटन: नक्शों और हितधारकों की आवश्यकताओं के आधार पर भूमि उपयोग योजना तैयार करनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर पर्यटन स्थल-विशिष्ट कदम उठाया जा सके और उसका मार्गदर्शन किया जा सके। 
    • पर्यावरणीय दक्षता एवं कार्बन उत्पादन और प्रमाणन के आधार पर पर्यटन सेवा प्रदाताओं का पर्यावरणीय ऑडिट करना चाहिए।
    • पर्यावरणीय, आर्थिक, सामाजिक मुद्दों और पर्यटन संबंधी रणनीतियों, उपलब्धियों की सक्रिय निगरानी और सार्वजनिक रिपोर्टिंग करनी चाहिए ताकि ये संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों  के अनुरूप रहें।
  • प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: पर्यटन क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित प्लेटफॉर्म विकसित करना चाहिए, जो व्यक्तिगत यात्रा योजना और रीयल-टाइम सहायता प्रदान कर सके। उदाहरण के लिए, स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों का वर्चुअल वॉकथ्रू प्रदान करने के लिए ऑगमेंटेड रियलिटी का उपयोग करना चाहिए, जिससे पर्यटक यात्रा से पहले ही डिजिटल अनुभव ले सकें। 
    • पर्यटकों की संख्या के बारे में सटीक जानकारी का अनुमान लगाने, बहु-जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने और संसाधनों का बेहतर तरीके से आवंटन करने हेतु इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), बिग डेटा और सैटेलाइट मैपिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। 

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