सुर्ख़ियों में क्यों?
सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ और अन्य (2023) मामले में 'हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा यानी मैनुअल स्कैवेंजिंग' पर जारी किए गए अपने प्रत्येक दिशा-निर्देश पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ एवं अन्य (2023) मामले में जारी निर्देश
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को देश में मैनुअल स्कैवेंजिंग और सफाई करने की खतरनाक पद्धतियों को समाप्त करने हेतु कदम उठाने के लिए निर्देश जारी किए थे।
- केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि सीवेज की सफाई करने वाले श्रमिकों और इस दौरान मृत श्रमिकों के परिवार/संतान के पूर्ण पुनर्वास के उपाय किए जाएं। पूर्ण पुनर्वास के तहत परिवार के सदस्य को रोजगार, बच्चों की शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को शामिल किया गया है।
- सीवेज की सफाई करते हुए होने वाली मौतों के मामले में मुआवजा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये किया जाए।
- सीवेज की सफाई के दौरान दिव्यांग होने की स्थिति में मुआवजा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जाए।
- राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए एक वर्ष के भीतर एक व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण आयोजित करें।
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (National Commission for Safai Karamcharis: NCSK), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes: NCSC), राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes: NCST) और केंद्र सरकार को 'हाथ से मैला उठाने हेतु व्यक्तियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013' के तहत जिला और राज्य स्तर की एजेंसियों के लिए सूचना और उपयोग हेतु प्रशिक्षण व शिक्षा मॉड्यूल तैयार करने की आवश्यकता है। साथ ही इन सब के बीच समन्वय बनाना भी जरूरी है।
'हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा' के बारे में
- हाथ से मैला उठाने हेतु व्यक्तियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास (PEMSR) अधिनियम, 2013 के अनुसार, मैनुअल स्कैवेंजिंग से तात्पर्य किसी व्यक्ति को अस्वच्छ शौचालय या शुष्क शौचालय में या खुले नाले या गड्ढे में या रेलवे ट्रैक आदि पर मानव मल को हाथ से हटाने, उठाने या किसी भी तरीके से उसके निपटान के लिए नियोजित करना है।
- 'हाथ से मैला उठाने हेतु व्यक्ति के नियोजन और शुष्क शौचालय का निर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम 1993' के तहत हाथ से मैला उठाने को आधिकारिक तौर पर 1993 से प्रतिबंधित किया हुआ है।
- 31 जुलाई, 2024 तक देश के 766 जिलों में से 732 जिलों ने खुद को "हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा से मुक्त" घोषित कर दिया है।
'हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा' को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- विधायी उपाय
- हाथ से मैला उठाने हेतु व्यक्तियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013: यह हाथ से मैला उठाने के लिए व्यक्तियों के नियोजन पर प्रतिबंध लगाता है तथा इसमें शामिल व्यक्तियों और उनके परिवारों के पुनर्वास का प्रावधान करता है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक अपराध संज्ञेय एवं गैर-जमानती है।
- हाथ से मैला उठाने हेतु व्यक्ति के नियोजन और शुष्क शौचालय का निर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम 1993: इस अधिनियम में हाथ से मैला उठाने हेतु व्यक्तियों को नियोजित करने वाले लोगों के साथ-साथ शुष्क शौचालयों का निर्माण करने वाले व्यक्तियों के लिए भी दंड का प्रावधान किया गया है।
- अन्य अधिनियम: नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955; अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989; आदि लागू किए गए हैं।
- हाथ से मैला उठाने हेतु व्यक्तियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013: यह हाथ से मैला उठाने के लिए व्यक्तियों के नियोजन पर प्रतिबंध लगाता है तथा इसमें शामिल व्यक्तियों और उनके परिवारों के पुनर्वास का प्रावधान करता है।
- योजनाएं
- नेशनल एक्शन फॉर मेकेनाइज़्ड सैनिटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते/NAMASTE योजना) 2023: यह केंद्रीय क्षेत्रक की योजना है। इस योजना को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त विकास निगम द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
- इस योजना का उद्देश्य असुरक्षित तरीके से सीवर की सफाई करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा, गरिमा और पुनर्वास सुनिश्चित करना है।
- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी 2.0): राज्य को छोटे शहरों में सीवेज की सफाई हेतु मशीनें खरीदने और मशीनीकरण हेतु 371 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है।
- नेशनल एक्शन फॉर मेकेनाइज़्ड सैनिटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते/NAMASTE योजना) 2023: यह केंद्रीय क्षेत्रक की योजना है। इस योजना को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त विकास निगम द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
- समर्पित संस्थाएं
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK): शुरुआत में इसे 1994 में तीन वर्ष के लिए एक सांविधिक निकाय के रूप में गठित गया था। हालांकि इस अधिनियम की अवधि समाप्त होने के बाद यह आयोग केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन एक गैर-सांविधिक संस्था बन गया।
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त विकास निगम (1997): यह निगम सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में कार्य करता है। यह ऋण और गैर-ऋण आधारित अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से सफाई कर्मचारियों के उत्थान के लिए कार्य करता है।

आगे की राह
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सुझाव के अनुसार
- 2013 के अधिनियम में सफाई कर्मचारियों और हाथ से मैला उठाने वाले व्यक्तियों के बीच अंतर करना आवश्यक है।
- डी-स्लेजिंग बाजार का पैनल बनाना और इसके संचालन को विनियमित करना।
- सीवेज सफाई कर्मियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराना और जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए।
- खतरनाक अपशिष्ट की सफाई के लिए तकनीकी नवाचार विकसित करने वालों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए।
- प्रौद्योगिकी आधारित उपाय: सीवर सफाई हेतु स्वचालित मशीन और रोबोट जैसी आधुनिक स्वच्छता प्रौद्योगिकियां सीवरों और सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए मानव श्रम पर निर्भरता को काफी हद तक कम कर सकती हैं।
- उदाहरण के लिए, केरल का रोबोट स्केवेंजर बैंडिकूट (Robotic scavengers Bandicoot)।
- स्वच्छता अवसंरचना में सुधार करना: स्वच्छता अवसंरचना के सुधार करने में निवेश करना, जिसके तहत सीवेज और सीवेज उपचार प्रणाली में सुधार करना शामिल है।
- मैनुअल स्कैवेंजर्स का सर्वेक्षण और पहचान: भारत भर में मैनुअल स्कैवेंजर्स की पहचान करने के लिए समय-समय पर सर्वेक्षण किया जाना चाहिए ताकि वे पुनर्वास योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त कर सकें। पिछला सर्वेक्षण 2018 में किया गया था।