- गुप्त काल (लगभग 320 ई. - 550 ई.) प्राचीन भारत का "स्वर्ण युग" माना जाता है। इसकी मुख्य वजह इस काल में मंदिर स्थापत्य कला में आया महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी बदलाव है।
- गुप्त स्थापत्य कला में नागर (उत्तर भारतीय) स्थापत्य का प्रभाव है, हालांकि इसमें द्रविड़ (दक्षिण भारतीय) शैली के तत्वों का मिश्रण भी देखने को मिलता है।
- गुप्तकालीन आरंभिक मंदिर साधारण व सपाट छत वाले थे। हालांकि, इस काल में बाद में कई भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ। इनमें विविध नई संरचनाएं {जैसे- गर्भगृह, मंडप (स्तंभों वाले सभाकक्ष), मुखमंडप और ऊंचे शिखर आदि} देखने को मिलती हैं।
- चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय जैसे गुप्त शासकों के समय विष्णु, शिव एवं शक्ति को समर्पित मंदिरों को राजकीय संरक्षण प्राप्त था।
- गुप्तकालीन मंदिरों की मुख्य विशेषताएं:
- गुप्तकालीन मंदिर स्थापत्य कला के विकास का आरंभिक चरण: इस अवधि में निर्मित मंदिरों के स्थापत्य पर बौद्ध और हिंदू परंपराओं दोनों तत्वों का प्रभाव दिखाई देता है।
- संरचनात्मक स्थायित्व: इस अवधि में मंदिर निर्माण में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह आया कि अब मंदिर निर्माण में लकड़ी जैसी नाशवान सामग्रियों की जगह पत्थर और ईंटों का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने लगा था।
- गुप्त काल में पांच प्रकार के मंदिरों का निर्माण हुआ: वर्गाकार सपाट छत वाले मंदिर, प्रदक्षिणा पथ वाले वर्गाकार मंदिर, अर्ध-बेलनाकार छत वाले आयताकार मंदिर, वक्रीय शिखर वाले वर्गाकार मंदिर और गोलाकार/ अष्टकोणीय मंदिर।
- स्तंभ: गुप्त काल के मंदिरों के स्तंभों में नए प्रकार का शीर्ष भाग देखने को मिलता है, जिसे "कलश शीर्ष" या "पूर्णकलश" कहा जाता है। इसने मौर्य काल के उल्टे कमल या घंटीनुमा शीर्ष की जगह ली है।
- अन्य विशेषताएं: सोपानिक चबूतरे, बारीक और सुंदर नक्काशी, धार्मिक प्रतीकों का अंकन आदि।
- सामाजिक-आर्थिक महत्त्व: गुप्त काल के मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं थे, बल्कि आर्थिक गतिविधियों के केंद्र भी थे। इन्हें भूमि दान (देवदान) के ज़रिए आय प्राप्त होती थी। मंदिर कृषि व्यवस्था को भी नियंत्रित करते थे। उत्तरापथ (ग्रैंड ट्रंक रोड) जैसे व्यापारिक मार्गों पर स्थित मंदिर व्यापारियों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते थे। मंदिरों ने शहरीकरण एवं विशेष श्रमिक संघों (श्रेणियों/ Guilds) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
गुप्तकालीन मंदिर![]() दशावतार मंदिर, देवगढ़ (उत्तर प्रदेश)
भितरगांव मंदिर, कानपुर (उत्तर प्रदेश)
नचना-कुठार मंदिर, पन्ना (मध्य प्रदेश)![]()
महाबोधि मंदिर, बोधगया (बिहार)
गुप्तकालीन अन्य मंदिर
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