- अवस्थिति: यह दक्कन प्रायद्वीप-पूर्वी उच्च भूमि का हिस्सा है।
- स्थापित: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत 1982 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित।
- प्रमुख विशेषताएं:
- इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहने वाली प्रमुख नदी कांगेर है।
- यह खोलाबा नदी के तट पर स्थित है। यह गोदावरी की एक सहायक नदी है।
- विविध स्थलाकृति: निम्न समतल भूमि, हल्की ढलान, खड़ी ढलान, पठार, गहरी खाइयां, घाटियां, घुमावदार जलधाराएं आदि।
- वनस्पति: यह उद्यान एक-दूसरे के निकटवर्ती क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार की वनस्पति के अनुकूल है, जैसे- उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन, उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन, और उष्णकटिबंधीय अर्द्ध-सदाबहार वन।
- यह प्रायद्वीपीय भारत में साल और सागौन वनों के बीच एक प्राकृतिक संक्रमण क्षेत्र (इकोटोन क्षेत्र) बनाता है।
- भू-आकृति विज्ञान संबंधी विशेषताएं:
- कार्स्ट स्थलाकृति: इसमें भूमिगत चूना पत्थर की गुफाएं पाई जाती हैं, जिनमें स्पेलोथेम्स पाए जाते हैं।
- यहां तीन अद्वितीय गुफाएं यानी कुटुंबसर, कैलाश और दंडक पाई जाती हैं। ये स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स की अद्भुत भूवैज्ञानिक संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
- अन्य आकर्षण: तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर धारा जलप्रपात (एक टेक्टोनिक घटना द्वारा निर्मित) आदि।
- मुख्य जीव-जंतु: तेंदुए, धारीदार लकड़बग्घा और ढोल (जंगली कुत्ते); पूर्वी पहाड़ी मैना (छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी), विशाल गिलहरी (यह प्रजाति केवल इसी क्षेत्र में पाई जाती है) आदि।
- उच्च स्तर की स्थानिकता: इस राष्ट्रीय उद्यान की चूना पत्थर की गुफाओं में मकड़ी की ऐसी 5 प्रजातियां पाई जाती हैं, जो केवल यहीं पाई जाती हैं।
Table of Content
- 2.1 तरलता घाटा
- 2.2 माइक्रोफाइनेंस के 50 वर्ष
- 2.3 यूनिफाइड पेंशन स्कीम
- 2.4 इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण में आत्मनिर्भरता
- 2.5 किसान उत्पादक संगठन
- 2.6 भारत की जैव-अर्थव्यवस्था
- 2.7 राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन
- 2.8 भारत के विकास के लिए कोयला क्षेत्रक
- 2.9 राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम
- 2.10 संक्षिप्त समाचार
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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (बस्तर, छत्तीसगढ़)
Posted 02 May 2025
Updated 07 May 2025
9 min read
- Tags :
- कांगेर घाटी
- दक्कन प्रायद्वीप
- इकोटोन क्षेत्र
- तीरथगढ़ जलप्रपात
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