राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (National Technical Textiles Mission: NTTM)) | Current Affairs | Vision IAS
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राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (National Technical Textiles Mission: NTTM))

Posted 02 May 2025

Updated 06 May 2025

39 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के शुरुआत के 5 वर्ष पूरे हुए।

तकनीकी वस्त्र सामान्य कपड़ों से अलग होते हैं। इन्हें सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि विशेष खूबियों और बेहतर काम करने की क्षमता के लिए बनाया जाता है। 

  • इनका इस्तेमाल उन चीज़ों में होता है जो लोगों को सुरक्षित रखने, मशीनों को बेहतर बनाने और रोज़मर्रा की समस्याओं को हल करने में मदद करती हैं, जैसे कि गाड़ियों के पार्ट्स, इमारतों में लगने वाला सामान, डॉक्टरी उपकरण और सुरक्षा के लिए पहने जाने वाले कपड़े।
  • तकनीकी वस्त्र बाजार को उनके उपयोग के आधार पर 12 सेग्मेंट्स में बांटा गया है। उदाहरण के लिए- स्पोर्टेक जिनका उपयोग स्पोर्ट्स नेट, पैराशूट, कृत्रिम घास और टर्फ बनाने के लिए किया जाता है।

'राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन' के बारे में

  • लक्ष्य: इसका उद्देश्य 2025-26 तक 1,480 करोड़ रुपये के बजट के साथ भारत को तकनीकी वस्त्रों के मामले में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देश बनाना है।
  • कार्यान्वयन मंत्रालय: केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय
  • चार घटक:
    • अनुसंधान, नवाचार और विकास;
    • प्रचार-प्रसार और बाजार का विकास;
    • निर्यात संवर्धन; तथा
    • ज्ञानवर्धन, प्रशिक्षण और कौशल विकास।
  • राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के उद्देश्य: इसका उद्देश्य तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन के लिए बेहतर परिवेश का विकास करके इस क्षेत्र में ग्लोबल लीडर के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करना है।

भारत के लिए तकनीकी वस्त्र क्यों महत्वपूर्ण है?

  • अलग-अलग क्षेत्रों में उपयोग: भारतीय तकनीकी वस्त्र बाजार में वास्तव में अलग-अलग क्षेत्रों में इनोवेशन हो रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए- होमटेक का उपयोग गद्दों (मैट्रेस) को एंटीवायरल सुरक्षा प्रदान के लिए किया जाता है।
    • एग्रोटेक का उपयोग फसलों को अल्ट्रावायलेट (UV) विकिरणों से रक्षा करने वाले और लचीला क्रॉप सपोर्ट नेट का निर्माण करने के लिए किया जाता है।
  • मांग में वृद्धि: अब अधिक उपभोक्ताओं ने पारंपरिक वस्त्रों की तुलना में तकनीकी वस्त्रों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है क्योंकि यह एक्टिव-वियर या चिकित्सा क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार लचीले, टिकाऊ, उच्च गुणवत्ता वाले और अधिक क्षमता वाले वस्त्रों की मांग को पूरा करता है।
    • इसी तरह, बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती जन्म दर और आबादी में वृद्धजनों के बढ़ते अनुपात के कारण हाइजेनिक और पर्सनल केयर वाले चिकित्सा उपकरणों (मेडीटेक) एवं बिल्डटेक घटकों की मांग लगातार बढ़ रही है।
  • औद्योगिक उत्पादन: औद्योगिक उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले तकनीकी वस्त्रों को इंडुटेक कहते हैं। इनका उपयोग कारखानों में कई कामों के लिए होता है, जैसे कि चीजों को छानना, एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना, और सफाई करना। इसके अलावा, इनका इस्तेमाल यांत्रिक इंजीनियरिंग और अलग-अलग उद्योगों के लिए खास समाधान और उत्पाद बनाने में भी होता है, जैसे कि बिजली के सुचालक कपड़े और थ्री-डी बनावट वाले वस्त्र।
  • पर्यावरण संरक्षण: तकनीकी वस्त्र, विशेष रूप से जियोटेक और ओकोटेक पर्यावरण संरक्षण के लिए उपयोगी हैं, जैसे कि फ्लोर सीलिंग, एयर क्लीनिंग, जल प्रदूषण की रोकथाम, अपशिष्ट जल रीसाइक्लिंग उपचार, अपरदन से सुरक्षा और घरेलू जल सीवरेज प्लांट।
  • आपदा प्रबंधन में सहायक: उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रिया में, हिमस्खलन से उत्पन्न गाद को जलाशय में प्रवेश करने से रोकने के लिए जियोटेक अवरोधों का उपयोग किया जाता है।
  • रक्षा आधुनिकीकरण: मेक इन इंडिया के तहत प्रोटेक आधारित बुलेट प्रूफ जैकेट, सुरक्षात्मक वस्त्र, उच्च क्षमता वाले मटेरियल्स का निर्माण रक्षा आधुनिकीकरण में मदद कर सकता है।
  • प्रमुख क्षेत्रकों में मददगार: तकनीकी वस्त्र कृषि, स्वास्थ्य-देखभाल सेवा, परिवहन और अवसंरचना जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रकों में उत्पादकता और दक्षता को बढ़ावा देते हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख आधार प्रदान करते हैं।
    • रेलवे ट्रैक के निर्माण में जियोटेक्सटाइल (उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के तहत भारतीय रेलवे द्वारा) और जल संरक्षण के लिए जियोमेम्ब्रेन (जल जीवन मिशन) अवसंरचना को मजबूत बना सकते हैं, रखरखाव की लागत को कम कर सकते हैं और दीर्घकाल के लिए आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।

 

तकनीकी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कुछ अन्य कदम:

  • वस्त्र क्षेत्रक के लिए उत्पादन से सम्बद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना: देश में तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, मैन-मेड फाइबर और परिधान तथा टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए उत्पादन-से-सम्बद्ध प्रोत्साहन (Production Linked Incentive: PLI) योजना शुरू की गई है।
  • पी.एम. मित्र योजना: समग्र वस्त्र उद्योग और मूल्य श्रृंखला, विशेष रूप से मैन-मेड फैब्रिक (MMF) और तकनीकी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए, वस्त्र मंत्रालय ने 2027-28 तक 7 वर्षों की अवधि के लिए पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल पार्क्स (मित्र/ MITRA) योजना शुरू की गई है।
  • समर्थ योजना: समर्थ/ SAMARTH (स्कीम फॉर कैपेसिटी बिल्डिंग इन टेक्सटाइल सेक्टर) केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय द्वारा शुरू की गई कौशल विकास योजना है। यह मांग-आधारित और प्लेसमेंट को बढ़ावा देने वाली योजना है। इसका उद्देश्य संगठित वस्त्र क्षेत्रक और इससे संबद्ध क्षेत्रकों में रोजगार सृजित करने के लिए उद्योगों के प्रयासों को बढ़ावा देना है।
  • नए HSN कोड: 2019 में पहचाने गए 207 तकनीकी वस्त्र आधारित वस्तुओं के अतिरिक्त, तकनीकी वस्त्र उत्पादों के लिए अलग से 30 से अधिक नए HSN (हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर) कोड का विकास किया गया है।
  • अनिवार्य उपयोग: वर्तमान में, दस केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों में अनिवार्य उपयोग के लिए 119 तकनीकी वस्त्र उत्पादों की पहचान की गई है।

 

तकनीकी वस्त्रों का लाभ उठाने में मौजूद चुनौतियां

  • जागरूकता की कमी: तकनीकी वस्त्रों की अधिक मार्केटिंग नहीं होने और इसके बारे में जानकारी की कमी के कारण इसके लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच पाए हैं।
  • आयात पर अधिक निर्भरता: भारत, चीन (कम लागत वाले उत्पाद) और संयुक्त राज्य अमेरिका/ यूरोप  (हाई-टेक उत्पाद) से अधिक मात्रा में तकनीकी वस्त्रों का आयात करता है।
    • देश में स्पेशियली फाइबर (कार्बन फाइबर, नायलॉन 66, UHMPE) का निर्माण नहीं होता है और इन्वर्टेड शुल्क संरचना की वजह से तैयार माल की तुलना में कच्चे माल के आयात पर अधिक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।
  • कुशल कार्यबल की कमी: तकनीकी वस्त्र उद्योग को एक विशेष कौशल की आवश्यकता होती है, और वर्तमान में देश में ऐसे कुशल कार्यबल की कमी देखी गई है।
    • वर्तमान प्रशिक्षण योजनाओं में तकनीकी वस्त्र के लिए विशेष कोर्स तैयार करने की बजाय पारंपरिक वस्त्रों पर ही ध्यान दिया जाता है।
  • अनुसंधान एवं विकास की कमी: वस्त्र उद्योग में कमोडिटी उत्पादों का वर्चस्व है और उत्पादों में विविधता (अलग-अलग प्रकार के उत्पाद) की कमी है।
    • सरकार को सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस स्थापित करने चाहिए तथा उद्योग जगत को इनोवेशन और अनुसंधान में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • मानकीकरण से जुड़े मुद्दे: तकनीकी वस्त्रों के लिए HSN कोड की स्थापना और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना एक बड़ी चुनौती रही है। इस कारण न केवल उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना कठिन हो जाता है, बल्कि घरेलू और वैश्विक व्यापार प्रक्रियाएं भी जटिल हो जाती हैं।

आगे की राह

  • अनुसंधान एवं विकास (R&D) को बढ़ावा देना: जियोटेक, मेडिटेक और एग्रोटेक जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्रकों में अनुसंधान एवं विकास (R&D) को प्राथमिकता देनी चाहिए, और अग्रणी संस्थानों के साथ सहयोग करके अत्याधुनिक इनोवेशन को प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए।
  • निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना: भारतीय मानकों को वैश्विक मानदंडों के अनुरूप लाने की जरूरत है। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
  • सततता और सर्कुलर इकॉनमी पर ध्यान देना: भारत के LiFE मिशन के विजन के अनुरूप प्राकृतिक फाइबर तथा एग्रोटेक नेट, और अपरदन रोकने के लिए जियोटेक समाधान जैसे पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
  • विश्व के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों से सीखना या अपनाना: नई टेक्नोलॉजी का तुरंत उपयोग करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका (स्पोर्टेक इनोवेशन) और जर्मनी (जियोटेक एप्लीकेशन) या इजराइल (प्रोटेक इनोवेशन) जैसे टेक-अग्रणी देशों से अत्याधुनिक विनिर्माण तकनीकों को अपनाना चाहिए।
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  • राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन
  • तकनीकी वस्त्र
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