सुर्ख़ियों में क्यों?
यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र ने 2025 में भारत के लिए संभावित सूची में छह स्थलों/ स्मारकों को शामिल करने का निर्णय लिया।
अन्य संबंधित तथ्य
- संभावित सूची उन स्थलों/ स्मारकों की एक "सूची" है, जिनके बारे में किसी देश का मानना है कि वे विश्व धरोहर स्थल बनने के योग्य हैं।

- प्रक्रिया: किसी स्थल/ स्मारक के संभावित सूची में शामिल होने के बाद, देश को एक नामांकन दस्तावेज तैयार करना होता है, जिस पर यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा विचार किया जाता है।
- भारत में इस प्रक्रिया में भारतीय राष्ट्रीय यूनेस्को सहयोग आयोग (INCCU) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की मुख्य भूमिका होती है।
- भारत में, 62 स्थल/ स्मारक यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल हैं।
- नवीनतम शामिल 6 स्थल/ स्मारक निम्नलिखित हैं-
- मुदुमल महापाषाण मेन्हिर (तेलंगाना);
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़);
- विविध राज्यों में स्थित अशोक के अभिलेख;
- मध्य प्रदेश और ओडिशा का चौसठ योगिनी मंदिर;
- उत्तर भारत में गुप्तकालीन मंदिर; तथा
- मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में स्थित बुंदेलों के महल-किले।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल/ स्मारक (WHS) क्या है?
- विश्व धरोहर स्थल/ स्मारक वे स्थल/ स्मारक होते हैं, जिन्हें यूनेस्को द्वारा उनके "विशिष्ट सार्वभौमिक मूल्य" के लिए मान्यता दी जाती है।
- यह "विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित अभिसमय (Convention Concerning Protection of World Cultural and Natural Heritage)" द्वारा निर्देशित है। इसे विश्व धरोहर अभिसमय भी कहा जाता है।
- विश्व धरोहर स्थलों/ स्मारकों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है: सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक धरोहर तथा मिश्रित धरोहर (सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोनों)।
चयन के लिए मानदंड
- किसी स्थल/ स्मारक को विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के लिए निम्नलिखित में से कम-से-कम एक मानदंड को पूरा करना चाहिए:
- मानव की रचनात्मक प्रतिभा का उत्कृष्ट उदाहरण हो,
- सांस्कृतिक या ऐतिहासिक महत्त्व का प्रदर्शन करता हो,
- स्थापत्य कला, पारिस्थितिकी या भूवैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो, या
- असाधारण प्राकृतिक सौंदर्यता और जैव विविधता का प्रदर्शन करता हो।
- यह स्थल/ स्मारक मानव विरासत, चल रही प्राकृतिक प्रक्रियाओं या संरक्षण प्रयासों में योगदान देने वाला होना चाहिए।
- अन्य बातें जो ध्यान में रखी जाती हैं: स्थल/ स्मारक की सुरक्षा, प्रबंधन, प्रामाणिकता और अखंडता।
विश्व धरोहर अभिसमय के बारे में
- इसे यूनेस्को की महासभा द्वारा 1972 में अपनाया गया था। यह अभिसमय 1975 में प्रभावी हुआ था।
- इसमें उन प्राकृतिक या सांस्कृतिक स्थलों/ स्मारकों के प्रकार को परिभाषित किया गया है, जिन्हें विश्व धरोहर सूची में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।
- विश्व धरोहर समिति (WHC) का गठन अभिसमय के प्रावधानों के अनुसार यूनेस्को के भीतर किया गया है।
- वर्ष 1975 में अभिसमय के तहत 'वर्ल्ड हेरिटेज इन डेंजर' सूची और 'वर्ल्ड हेरिटेज फंड' की स्थापना की गई थी।
- भारत ने इस अभिसमय की अभिपुष्टि 1977 में की थी।

यूनेस्को विश्व धरोहर समिति (असाधारण सार्वभौमिक मूल्य की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के लिए अंतर-सरकारी समिति)
- संरचना: यह समिति 196 सदस्य देशों में से चुने गए प्रतिनिधियों से बनी होती है। भारत वर्तमान में इसका सदस्य है।
- कार्यकाल: 6 वर्ष (हालांकि अधिकांश देश स्वेच्छा से 4 वर्षों तक ही सदस्य रहने का निर्णय लेते हैं।)
- कार्य:
- इसकी वर्ष में कम-से-कम एक बार बैठक होती है। बैठक में WHS की सूची में नए स्थलों/ स्मारकों को शामिल करने, पुराने स्थलों/ स्मारकों को हटाने या संशोधित करने पर विचार-विमर्श किया जाता है।
- समिति नामित स्थलों/ स्मारकों का नियमित निरीक्षण करती है, और यदि कोई स्थल/ स्मारक गंभीर खतरे में हो, तो उसे "वर्ल्ड हेरिटेज इन डेंजर" के रूप में नामित करती है।
- यदि किसी स्थल/ स्मारक का असाधारण सार्वभौमिक मूल्य समाप्त हो जाए या वह नष्ट हो जाए, तो समिति उसे विश्व धरोहर सूची से हटा सकती है।
- भारत ने पहली बार जुलाई 2024 में नई दिल्ली में 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी की थी। इसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय की ओर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने किया था।
- 'मोइदम्स' अहोम राजवंश की एक अंत्येष्टि विधि थी। हाल ही में इसे भारत की 43वीं प्रविष्टि के रूप में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
- वर्ल्ड हेरिटेज फंड (असाधारण सार्वभौमिक मूल्य की विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के लिए कोष): इसकी स्थापना 1977 में WHC के तहत की गई थी।
- वित्त-पोषण: सदस्य देशों तथा सरकारों, फाउंडेशंस, निजी क्षेत्रक या आम लोगों द्वारा किया गया स्वैच्छिक योगदान।
