सीएसआर, आईबीसी और ईएसजी को प्रभावी बनाना (MAKING CSR, IBC & ESG EFFECTIVE)
कारपोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) की 'अनुदान मांगों (2025-26)' पर 10वीं रिपोर्ट में विविध मुद्दों जैसे कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR), दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) तथा पर्यावरणीय, सामाजिक एवं गवर्नेंस (ESG) विनियमों को प्रभावी बनाना पर प्रकाश डाला गया है और कई सिफारिशें की गई हैं:-
क्षेत्र | समस्याएं | सिफारिशों |
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) |
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दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) |
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पर्यावरणीय, सामाजिक एवं गवर्नेंस (ESG) |
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- IBC
- CSR
कृषि पर संसदीय स्थायी समिति ने मात्स्यिकी क्षेत्रक पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की (PARLIAMENTARY STANDING COMMITTEE ON AGRICULTURE SUBMITS REPORT ON FISHERIES SECTOR)
इस रिपोर्ट में मात्स्यिकी क्षेत्रक में सुधार, रोजगार के अवसर बढ़ाने और राजस्व सृजन को बढ़ावा देने के लिए पूर्व में की गई सिफारिशों पर सरकार की कार्यवाहियों का मूल्यांकन किया गया है।
- भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा मत्स्य-उत्पादक देश है। विश्व में मत्स्य उत्पादन में भारत लगभग 8% का योगदान देता है।
- पिछले कुछ वर्षों में, कृषि सकल मूल्य वर्धन (GVA) में मात्स्यिकी क्षेत्रक का योगदान 4% से बढ़कर 6.72% से अधिक हो गया है।

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सहकारी चीनी मिलों के लिए योजना (SCHEME FOR COOPERATIVE SUGAR MILLS)
हाल ही में, केंद्र सरकार ने संशोधित ‘इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना’ के तहत सहकारी चीनी मिलों के लिए एक नई योजना अधिसूचित की है।
‘सहकारी चीनी मिलों के लिए योजना’ के बारे में
- कार्यान्वयन मंत्रालय/ विभाग: केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग।
- उद्देश्य: गन्ना-आधारित मौजूदा इथेनॉल संयंत्रों को मल्टी-फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में बदलना। इससे मक्का और खाद्य के लिए अनुपयोगी हो चुके खाद्यान्न जैसे अन्य कच्चे माल का उपयोग किया जा सकता है।
- संशोधित इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना के तहत सरकार 6% प्रतिवर्ष की ब्याज छूट देगी या बैंकों/ वित्तीय संस्थानों द्वारा तय ब्याज दर का 50% वहन करेगी (जो भी कम हो)।
- इस योजना से इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ गैर-परंपरागत कच्चे माल का उपयोग भी बढ़ेगा। इससे किसानों और सहकारी चीनी मिलों को लाभ मिलेगा।
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तंबाकू (TOBACCO)
पिछले चार वर्षों में भारत का तम्बाकू निर्यात दोगुना हो गया।
तंबाकू
- भारत की स्थिति: भारत तम्बाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक (चीन के बाद) तथा दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक (ब्राजील के बाद) देश है।
- प्रमुख उत्पादक राज्य: गुजरात (कुल खेती योग्य क्षेत्र का 45% और उत्पादन 30%), आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और बिहार।
- अनुकूल परिस्थितियां:
- तापमान: 20° से 27°C के बीच होना चाहिए।
- वर्षा: जब इसे वर्षा सिंचित फसल के रूप में उगाया जाता है, तो फसल उगाने के मौसम के दौरान कम-से-कम 500 मिलीमीटर अच्छी तरह से वितरित वर्षा की आवश्यकता होती है।
- जिस क्षेत्र में वर्षा 1200 मिमी. से अधिक होती है, वहां पर आमतौर इसकी खेती नहीं की जाती है।
- मृदा: रेतीली या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसका एक अपवाद है- आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्र, जहां गहरी काली मृदा में तंबाकू का उत्पादन किया जाता है। इस क्षेत्र में सिगरेट में इस्तेमाल होने वाले तंबाकू का उत्पादन किया जाता है।
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विश्व बैंक ने ‘एक पीढ़ी में उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनना’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की {‘BECOMING A HIGH-INCOME ECONOMY IN A GENERATION' REPORT RELEASED BY WORLD BANK}
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत को 2047 तक उच्च आय वाला देश (HIC) बनने के लिए अगले 22 वर्षों में औसतन 7.8% की दर से विकास करना होगा।
- भारत 2007-08 में निम्न-मध्यम आय वाला देश (LMIC) बन गया था। उल्लेखनीय है कि भारत वर्तमान में 2032 तक उच्च-मध्यम आय वाला देश (UMIC) बनने की राह पर है।
2047 तक उच्च आय वाले देशों (HIC) के समूह में शामिल होने की राह में मौजूद प्रमुख चुनौतियां
- मंद संरचनात्मक परिवर्तन: आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, भारत में कार्यबल का 45% हिस्सा कृषि क्षेत्रक में नियोजित है। इसके अलावा, पारंपरिक बाजार आधारित सेवाएं और निर्माण कार्य (कम उत्पादकता) मिलकर लगभग 30% का योगदान देती हैं।
- इसके विपरीत, कुल रोजगार में विनिर्माण क्षेत्रक की हिस्सेदारी लगभग 11% थी और आधुनिक बाजार सेवाओं की हिस्सेदारी केवल 7% थी।
- निजी निवेश में गिरावट: 1990 के दशक के सुधारों के बाद देश में निजी निवेश में वृद्धि हुई। लेकिन 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में इसमें गिरावट देखी गई।
- जनसांख्यिकीय लाभांश का कम उपयोग: वर्ष 2000-19 के दौरान, कार्यशील आयु वर्ग की आबादी में 37.4% की वृद्धि हुई थी, लेकिन रोजगार में केवल 15.7% की वृद्धि हुई थी।
- इस अवधि के दौरान, श्रम बल भागीदारी दर 58% से घटकर 49% हो गई, जो कि मध्यम आय वाले देशों के मानकों से कम है।
संवृद्धि को बढ़ावा देने हेतु अपनाई जाने वाली मुख्य रणनीतियां
- निवेश को बढ़ावा देना: बेहतर वित्तीय विनियमों द्वारा, MSME क्षेत्रक को आसानी से ऋण उपलब्ध कराकर और सरलीकृत FDI नीतियों के माध्यम से 2035 तक निवेश को GDP के 33.5% से बढ़ाकर 40% करना।
- रोजगार उत्पन्न करना: एग्रो-प्रोसेसिंग, विनिर्माण, परिवहन और केयर इकॉनमी जैसे रोजगार-समृद्ध क्षेत्रों में निजी निवेश को प्रोत्साहित करना।
- संतुलित क्षेत्रीय विकास पर फोकस करना: कम विकसित राज्य मूलभूत आवश्यकताओं (स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अवसंरचनाओं के विकास) पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि विकसित राज्य अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाते हैं।
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द्विपक्षीय स्वैप एग्रीमेंट {BILATERAL SWAP AGREEMENT (BSA)}
भारत और जापान ने 75 अरब डॉलर के द्विपक्षीय करेंसी स्वैप समझौते को नवीनीकृत किया है।
द्विपक्षीय स्वैप एग्रीमेंट (BSA) के बारे में:
- यह दो केंद्रीय बैंकों के बीच एक समझौता है। इसके तहत वे एक मुद्रा के नकदी प्रवाह का दूसरी मुद्रा के नकदी प्रवाह से पूर्व निर्धारित शर्तों के अनुसार विनिमय कर सकते हैं।
- भारत-जापान BSA का उद्देश्य: यह द्विपक्षीय करेंसी स्वैप व्यवस्था है, जिससे दोनों देश जरूरत पड़ने पर अपनी स्थानीय मुद्रा के बदले अमेरिकी डॉलर का विनिमय कर सकते हैं।
- महत्त्व: विनिमय दर की अस्थिरता को प्रबंधित करने और वित्तीय संकटों के दौरान तरलता प्रदान करने में सहायता करना।
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MSMEs के लिए नया क्रेडिट असेसमेंट मॉडल (DIGITAL FOOTPRINT-BASED LENDING FOR MSMES)
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने MSMEs के लिए डिजिटल फुटप्रिंट-आधारित क्रेडिट असेसमेंट मॉडल लॉन्च किया
- केंद्रीय बजट 2024-25 में घोषणा की गई थी कि सार्वजनिक क्षेत्रक के बैंक (PSBs) MSMEs को ऋण देने से पहले उनके ऋण भुगतान की क्षमता का आकलन अपने स्तर से करेंगे। इसके लिए उन्हें किसी बाहरी एजेंसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
- इस डिजिटल असेसमेंट मॉडल में निम्नलिखित डिजिटल फुटप्रिंट का उपयोग किया जाएगा:
- NSDL के जरिए नाम और पैन सत्यापन;
- OTP के जरिए मोबाइल और ईमेल सत्यापन;
- सेवा प्रदाता की मदद से API से GST डेटा प्राप्त करना; तथा
- बैंक स्टेटमेंट का विश्लेषण।
- यह मॉडल MSMEs को ऋण देने की मंजूरी प्रक्रिया को स्वचालित बना देगा। इससे लघु और मध्यम उद्यमों को तेजी से एवं पारदर्शी तरीके से ऋण प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
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वेंचर कैपिटल (VENTURE CAPITAL)
भारत की वेंचर कैपिटल (VC) फंडिंग 2024 में 43% बढ़कर 13.7 बिलियन डॉलर हो गई।
वेंचर कैपिटल के बारे में
- यह निजी इक्विटी का एक रूप है। यह दीर्घकालिक विकास क्षमता वाली स्टार्ट-अप कंपनियों तथा लघु व्यवसायों के लिए वित्त-पोषण का एक प्रकार है।
- वेंचर कैपिटल आमतौर पर इक्विटी शेयरों या इक्विटी पर भविष्य के दावे (जैसे- परिवर्तनीय ऋण) का रूप धारण करती है। यह बदले में वेंचर कैपिटल फर्म को व्यवसाय में स्वामित्व का हिस्सा प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करती है।
- उद्यम पूंजीपति या वेंचर कैपिटलिस्ट वित्त-पोषण, तकनीकी विशेषज्ञता या प्रबंधकीय अनुभव के माध्यम से सहायता प्रदान करते हैं।
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पुनर्बीमा (REINSURANCE)
वैल्यूएटिक्स री (Valueattics Re) भारत में पुनर्बीमा कारोबार शुरू करने के लिए IRDAI (भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण) से मंजूरी पाने वाली पहली निजी कंपनी बन गई है ।
- वर्तमान में, सार्वजनिक क्षेत्रक की जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (GIC Re) भारत में कार्यरत एकमात्र पुनर्बीमा कंपनी है।
पुनर्बीमा के बारे में
- पुनर्बीमा एक जोखिम प्रबंधन पद्धति है। इसमें बीमा कंपनियां स्वयं को बड़े वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए अपने जोखिम का एक हिस्सा किसी अन्य बीमा कंपनी (रीइंश्योरर/ पुनर्बीमाकर्ता) को हस्तांतरित कर देती है।
- विनियामक: भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI)।
- कानून: इसे बीमा अधिनियम, 1938 और IRDAI (पुनर्बीमा) विनियम, 2018 के तहत प्रबंधित किया जाता है।
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- बीमा अधिनियम, 1938
समर्थ (SAMARTH)
टेलीमेटिक्स विकास केंद्र ने दूरसंचार और IT क्षेत्रकों के लिए अत्याधुनिक इनक्यूबेशन कार्यक्रम ‘समर्थ’ का शुभारंभ किया।
समर्थ के बारे में
- उद्देश्य: सस्टेनेबल और स्केलेबल बिजनेस मॉडल के विकास को प्रोत्साहित करना, अत्याधुनिक संसाधनों को उपलब्ध कराना और किसी आइडिया को वाणिज्यिक रूप से सार्थक बनाने में स्टार्ट-अप्स की मदद करना।
- कार्यान्वयन साझेदार: सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत प्रमुख विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संगठन।
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अपलिंक इनिशिएटिव (UPLINK INITIATIVE)
विश्व आर्थिक मंच (WEF) के तहत अपलिंक इनिशिएटिव से 2023-2024 के दौरान कार्बन उत्सर्जन में 142,400 टन की कटौती हुई।
अपलिंक इनिशिएटिव के बारे में
- यह प्रभावशाली प्रारंभिक चरण के नवाचार पर केंद्रित है।
- इसे डेलॉइट और सेल्सफोर्स के सहयोग से WEF द्वारा 2020 में लॉन्च किया गया था।
- यह ऐसे इकोसिस्टम्स का निर्माण करता है, जो उद्देश्य युक्त और शुरुआती चरण के उद्यमियों को अपने व्यवसायों को उन बाजारों के लिए बढ़ाने में सक्षम बनाता है जो नेट जीरो उत्सर्जन, प्रकृति के प्रति सकारात्मक (nature-positive) और न्यायसंगत (equitable) भविष्य के लिए आवश्यक हैं।
- उद्देश्य: प्रारंभिक चरण के नवाचारकर्ताओं को समर्थन देना, नवाचार आधारित इकोसिस्टम को सक्षम बनाना और धारणा को प्रभावित करना।
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- विश्व आर्थिक मंच
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