सुर्ख़ियों में क्यों?
नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 2023-24 की गर्मियों में मरीन हीटवेव्स (MHWs) के दिनों की औसत संख्या में 240 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इस अध्ययन से सामने आये मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- प्रवृत्ति: पिछले दो वर्ष (2023-2024) स्थल और महासागर दोनों पर अब तक के सबसे गर्म साल रहे हैं और मानवजनित वार्मिंग के कारण MHWs में वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है।
- वैश्विक परिघटना: पूरे विश्व में मरीन हीटवेव्स की घटनाएं देखी गई हैं। साथ ही, महासागरों के 8.8% भाग में अब तक रिकॉर्ड किया गया सबसे अधिक समुद्री सतही तापमान दर्ज किया गया है जो ऐतिहासिक रूप से वार्षिक औसत से लगभग चार गुना अधिक है।
- क्षेत्र: मरीन हीटवेव्स की प्रचंड घटनाएं विशेष रूप से उत्तरी अटलांटिक, दक्षिण-पश्चिम प्रशांत, पूर्वी प्रशांत और पश्चिमी हिंद महासागर में स्पष्ट रूप में देखी गई हैं।
मरीन हीटवेव क्या होती है?
- मरीन हीटवेव (MHWs) की घटनाएं समुद्र में उच्च तापमान के साथ अत्यधिक अवधि के लिये होती हैं।
- यह तब घटित होती है जब समुद्र के किसी क्षेत्र विशेष का सतही तापमान कम से कम पांच दिनों तक औसत तापमान से 3 या 4 डिग्री सेल्सियस अधिक बना रहता है।
- कोई निश्चित तापमान नहीं: स्थलीय भाग में घटित होने वाली हीटवेव्स या लू की तरह मरीन हीटवेव्स के लिए कोई निश्चित तापमान नहीं होता, क्योंकि महासागर का तापमान स्थान और समय के हिसाब से बदलता रहता है।
- ध्रुवों के पास समुद्र का तापमान ठंडा होता है और भूमध्य रेखा के पास गर्म। साथ ही, समुद्री जल गर्मियों में सतह पर के पास गर्म और सर्दियों में ठंडा होता है।
- मरीन हीटवेव का पता आमतौर पर तब चलता है जब समुद्री जल का तापमान पिछले 90 प्रतिशत मापों की तुलना में अधिक गर्म होता है।
- अवधि: MHWs की स्थिति कई दिनों, हफ्तों, महीनों या यहां तक कि वर्षों तक बनी रह सकती है।
- आवृत्ति में वृद्धि: 1982 के बाद से समुद्री MHWs की घटनाओं की संख्या दोगुनी हो गई है।
मरीन हीटवेव की घटना के लिए जिम्मेदार कारक
- वायुमंडलीय और महासागरीय प्रक्रियाओं का संयोजन: उदाहरण के लिए, अलास्का की खाड़ी के ऊपर उच्च दबाव वाली मौसम प्रणाली का अवरुद्ध होना और दूरस्थ उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र के मौसम प्रभाव मिलकर महासागर की स्थिति में अचानक बदलाव ला सकते हैं। यह बदलाव मरीन हीटवेव्स (MHWs) का कारण बन सकते हैं।
- पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो के कारण इस क्षेत्र में लंबी अवधि की MHWs की घटनाएं घटित हो सकती हैं।
- समुद्र के सतही भाग में ऊष्मा का प्रवाह: वायुमंडल द्वारा समुद्री सतह का भाग तब गर्म होता है जब वायुमंडलीय उच्च दबाव प्रणाली संबंधित क्षेत्र के ऊपर लंबे समय तक बनी रहती है।
- पेरू के तटीय भाग में 2017 के दौरान MHWs और तस्मान सागर में 2017-18 के दौरान MHWs के कारण वायुमंडल से महासागर में असामान्य रूप से ऊष्मा का उच्च प्रवाह था।
- अभिवहन (Advection): समुद्री जल धाराओं द्वारा किसी क्षेत्र में गर्म समुद्री जल के पहुँचाने से भी MHWs के लिए अनुकूल दशाओं का निर्माण हो सकता है।
- उदाहरण के लिए; 2011 में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के तटीय भागों में घटित MHWs और तस्मान सागर में MHWs की घटना के लिए जिम्मेदार इन क्षेत्रों में क्षैतिज प्रवाह के रूप में असामान्य से अधिक गर्म जल का पहुंचना था।
- मानव जनित ग्लोबल वार्मिंग: हाल के दशकों में ग्रीनहाउस गैसों के वायुमंडल में पहुंचने के कारण उत्पन्न अतिरिक्त ऊष्मा का 90 प्रतिशत महासागरों द्वारा अवशोषित कर लिया गया है। इससे 1850 के बाद से वैश्विक औसत समुद्री सतह का तापमान लगभग 0.9 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।
मरीन हीटवेव के प्रभाव
- जैविक प्रभाव: इसमें वैश्विक स्तर पर प्रवाल विरंजन की घटना, केल्प फॉरेस्ट्स घास, समुद्री घास और प्रवाल भित्तियों जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों की क्षति शामिल है।
- मई 2020 में मरीन हीटवेव के बाद तमिलनाडु तट के पास मन्नार की खाड़ी में 85 प्रतिशत प्रवाल विरंजन हो गए। इससे खाद्य जाल व्यापक रूप से प्रभावित हुआ, जिससे मछली आबादी पर संभावित प्रभावों के बारे में चिंताएं बढ़ गईं।
- मौसम के पैटर्न पर प्रभाव: तापमान बढ़ने की वजह से समुद्र और वायुमंडल के बीच ऊष्मा और नमी का संचरण बढ़ने से रिकॉर्ड संख्या में तूफान आए हैं और काफी वर्षा हुई है।
- 2024 में, हरिकेन बेरिल (जो MHWs के कारण अधिक प्रचंड हो गया) तूफान इस वर्ष के मौसम के हिसाब से अब तक का सबसे जल्दी आने वाला कैटेगरी 5 का हरीकेन बन गया। इसने कैरेबियाई और संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ हिस्सों को बुरी तरह से तबाह कर दिया।
- ऑक्सीजन की कमी: बाल्टिक सागर पर किए गए अवलोकनों से पता चलता है कि मरीन हीटवेव के कारण विशेष रूप से उथले जल क्षेत्र के समुद्री जल में ऑक्सीजन की कमी हो गयी।
- मानसून वर्षा पर प्रभाव: बंगाल की खाड़ी में मरीन हीटवेव के चलते आमतौर पर मध्य भारत में कम वर्षा और भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप में अधिक वर्षा होती है।
- जून 2023 में बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भाग में प्रचंड मरीन हीटवेव की घटना के परिणामस्वरूप भारत के आमतौर पर शुष्क रहने वाले उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा हुई थी।
- मरीन हीटवेव द्वारा अम्लीकरण में वृद्धि: उच्च तापमान हाइड्रोजन आयन सांद्रता ([H ⁺ ]) को बढ़ाता है, pH के स्तर को कम करता है और अम्लता को बढ़ाता है।
- आजीविका और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को नुकसान: बढ़ते तापमान के कारण जलीय कृषि को हानि पहुँचती है और स्नोर्कलिंग और स्कूबा डाइविंग जैसे पर्यटन उद्योग तथा मछली पकड़ने पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- प्रशांत महासागर में अत्यधिक वर्षा के कारण चिली में पाले गए सैल्मन मछली की व्यापक पैमाने पर मृत्यु हो गई थी, जिससे निर्यात के संबंध में लगभग 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर की हानि हुई थी।
- समुद्र जल स्तर में वृद्धि: ऊष्मा के कारण जल का आयतन बढ़ जाता है। इसे जल का तापीय विस्तार कहा जाता है, और यह हिंद महासागर के समुद्र जल स्तर में हुई वृद्धि के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है। यह ग्लेशियर और समुद्री बर्फ के पिघलने से होने वाले जल स्तर में वृद्धि से भी अधिक है।
मरीन हीटवेव से निपटने की रणनीतियाँ
- प्रभाव को कम करने के लिए पहले किए जाने वाले हस्तक्षेप: इसमें कोरल्स को गहरे और ठंडे पानी में स्थानांतरित करना शामिल है, ताकि उन्हें विरंजन से बचाया जा सके और प्रजनन में मदद मिल सके। जैसे कि फ्लोरिडा में किया गया।
- प्रतिक्रियात्मक हस्तक्षेप: इसके तहत पहले से ही बदल चुकी परिस्थितियों के जवाब में कार्य किया जा सकता है। इसमें मात्स्यिकी को बंद करना और बदल चुकी परिस्थितियों के अनुकूल प्रजातियों को पकड़ना जैसे कार्य करना शामिल हैं।
- बाह्य-स्थाने संरक्षण विधियां: तस्मानिया में क्रिटिकली एनडेंजर्ड रेड हैंडफिश की बची एक-चौथाई आबादी को एकत्रित किया गया तथा उन्हें मरीन हीटवेव के दौरान एक्वेरियम में रखा गया, ताकि उनके संरक्षण में मदद की जा सके।
- जियो-इंजीनियरिंग हस्तक्षेप: इसके तहत ऑस्ट्रेलिया के मैक्वेरी हार्बर में ऑक्सीजन की आपूर्ति करना तथा ग्रेट बैरियर रीफ और ऊष्मा के संचरण को कम करने के लिए उत्तरी प्रशांत में समुद्री बादल की चमक को बढ़ाना आदि मदद कर सकते हैं।
- जलवायु परिवर्तन को रोकने वाले पहलों का प्रभावी क्रियान्वयन: जैसे कि पेरिस समझौते के तहत सहमति बनी है कि सरकारों को जीवाश्म ईंधन आधारित उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ नवीकरणीय और प्रकृति आधारित समाधानों में निवेश करना चाहिए।
- मरीन हीटवेव का पूर्वानुमान लगाना: यह प्रभावी रूप से तैयारी करने, तत्पर रहने और शमन संबंधी उपायों को लागू करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया में मरीन हीटवेव्स से निपटने के संबंध में निर्णय लेने वालों की मदद करने के लिए विशिष्ट नेशनल ब्रीफिंग और रीजनल रिस्पांस प्लान्स विकसित किए गए हैं।