- चौसठ योगिनी मंदिर में मंदिर की परिधि में स्थित कक्षों में योगिनियों की 64 प्रतिमाएं स्थापित हैं।
- योगिनी योग का अभ्यास करने वाली महिला को संदर्भित करता है और चौसठ हिंदी में संख्या 64 के लिए शब्द है।
- मंदिर के खुले केंद्रीय प्रांगण में भगवान शिव या शक्ति को समर्पित एक गर्भगृह है, जो प्रत्येक कक्ष से दिखाई देता है। ऐसा माना जाता है कि नर्तक/ नर्तकियां संभवतः इसी केंद्रीय प्रांगण में प्रदर्शन करते थे/ करती थीं।
- मुख्य विशेषताएं:
- ये मंदिर आमतौर पर वृत्ताकार हैं, ऊँचे स्थान (या पीठ) पर बने होते हैं और आसमान की ओर खुले होते हैं।
- हालांकि, अधिकांश मंदिरों की योजना वृत्ताकार है, लेकिन खजुराहो, बड़ोह और रिखियां में स्थित मंदिर आयताकार हैं।
- प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व: वृत्ताकार योजना समय चक्र, ब्रह्मांडीय व्यवस्था और ऊर्जा के निरंतर प्रवाह को दर्शाती है।
- नक्काशी: ये मंदिर सरल पत्थर का भार वहन करने वाली संरचनाएं हैं। इनमें मुख्य मंदिर संरचना पर साधारण नक्काशी होती है, जबकि मूर्तियां बारीकी से उकेरी गई हैं।
- तांत्रिक और योगिक साधनाएं: इन मंदिरों में नारी शक्ति, कामुकता और प्रजनन क्षमता का उत्सव मनाते हुए तांत्रिक एवं योगिक अनुष्ठान किए जाते थे।
- ये मंदिर आमतौर पर वृत्ताकार हैं, ऊँचे स्थान (या पीठ) पर बने होते हैं और आसमान की ओर खुले होते हैं।
भारत में चौसठ योगिनी मंदिर![]()
चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना (इकत्तरसो महादेव मंदिर)
चौसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो (9वीं शताब्दी में चंदेल वंश के संरक्षण में निर्मित)
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चौसठ योगिनी मंदिर, बड़ोह (गदरमल मंदिर)
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