भारत में विप्रेषण (REMITTANCES TO INDIA) | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

भारत में विप्रेषण (REMITTANCES TO INDIA)

Posted 02 May 2025

Updated 06 May 2025

21 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में जारी RBI सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, पिछले चार वर्षों में भारत को खाड़ी देशों की तुलना में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं से अधिक विप्रेषण यानी रेमिटेंस प्राप्त हुआ है।

भारत में रेमिटेंस प्राप्ति के मुख्य ट्रेंड

  • रेमिटेंस प्राप्ति: भारत को 2023-24 में 118.7 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त हुआ। यह 2011 की तुलना में दोगुना है।
  • पांच देश जहां से भारत को सबसे अधिक रेमिटेंस प्राप्त हुआ (2023-24): संयुक्त राज्य अमेरिका (27.7%) पहले स्थान पर है। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यूनाइटेड किंगडम (UK), सऊदी अरब और सिंगापुर का स्थान है।
    • इससे पहले खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के देश (UAE और सऊदी अरब) भारत में रेमिटेंस के प्रमुख स्रोत रहे हैं। हालांकि, भारत के रेमिटेंस में इनकी संयुक्त हिस्सेदारी कम होकर 38% रह गई है, जबकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 50% से अधिक हो गई है।
  • रेमिटेंस प्राप्त करने वाले भारत के शीर्ष 3 राज्य (2023-24)महाराष्ट्र (20.5%) पहले स्थान पर है। इसके बाद केरल और तमिलनाडु का स्थान है।

रेमिटेंस प्राप्ति के ट्रेंड में बदलाव की वजहें

इसकी मुख्य वजह भारतीयों के प्रवास पैटर्न में आए बदलावों को माना जा रहा है। इस पैटर्न में बदलाव के लिए निम्नलिखित कारण बताए गए हैं:

  • रेमिटेंस भेजने की लागत: डिजिटलीकरण के कारण भारत में रेमिटेंस भेजने की लागत वैश्विक औसत से कम हो गई है। हालांकि, यह लागत अब भी सतत विकास लक्ष्य (SDG) द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है। SDG का लक्ष्य 200 अमेरिकी डॉलर भेजने की लागत को 2030 तक 3% तक सीमित रखना है। 
    • हालांकि, अभी भी विशेष रूप से कम राशि के रेमिटेंस के मामले में डिजिटल माध्यम की जगह कैश भेजने का चलन जारी है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में मजबूत श्रम बाजार: विशेषकर व्हाइट कॉलर जॉब्स की बढ़ती संख्या, वेतन वृद्धि और कोविड महामारी के बाद के आर्थिक प्रोत्साहनों की घोषणा ने प्रवासियों की आय अर्जन क्षमता को बढ़ाया है।
    • इसके विपरीत, खाड़ी सहयोग परिषद् (GCC) के देशों में ऑटोमेशन, आर्थिक विविधीकरण और राष्ट्रीयकरण नीतियों (जैसे- सऊदी अरब की निताक़त और कफाला श्रम नीतियां) के कारण अल्प-कुशल श्रमिकों के लिए अवसरों में गिरावट दर्ज की गयी है।
  • कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया का उच्चतर शिक्षा के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभरना: इसके साथ ही भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच 'माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप' (मई 2021) जैसी नीतियों ने भी इस नए ट्रेंड में योगदान दिया है।
    • उदाहरण के लिए, यूनाइटेड किंगडम में प्रवास करने वाले भारतीयों की संख्या 2020 की 76,000 से तीन गुना बढ़कर 2023 में 2,50,000 हो गई।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रेमिटेंस क्यों महत्वपूर्ण है?

  • भुगतान संतुलन (Balance of Payments: BoP) बनाए रखने में सहायक: रेमिटेंस से भारत के पण्य (मर्केंडाइज) व्यापार घाटे के लगभग आधे हिस्से का वित्त-पोषण होता है। साथ हीनिवल रेमिटेंस प्राप्तियां बाहरी आर्थिक संकटों से निपटने में अहम भूमिका भी निभाती हैं।
  • घरेलू स्तर पर: रेमिटेंस के रूप में प्राप्त राशि का उपयोग भोजन, स्वास्थ्य-देखभाल सेवाएं और शिक्षा प्राप्ति जैसी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में किया जाता है। इससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार होता है।
    • उदाहरण के लिए, 2021 में केरल के राज्य घरेलू उत्पाद में रेमिटेंस का योगदान 36% से अधिक था। इससे राज्य की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर्ज की गई।
  • मैक्रो-इकोनॉमिक भूमिका: वर्ष 2000 से भारत के सकल घरेलू उत्पाद में रेमिटेंस की हिस्सेदारी 3-3.5% के बीच रही है। यह हिस्सेदारी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और आधिकारिक विकास सहायता (ODA) प्राप्ति की हिस्सेदारी से कहीं अधिक है।
    • रेमिटेंस निरंतर प्राप्त होते रहे हैं। इसी वजह से वैश्विक संकटों (जैसे- कोविड महामारी और युद्ध) के दौरान भी भारत आर्थिक चुनौतियों से निपटने में सफल रहा है।
  • ऋण भुगतान की क्षमता बढ़ती है: रेमिटेंस प्राप्ति आर्थिक संकटों को कम करता है। प्रवासी श्रमिकों द्वारा अपने देश में भेजी गई धनराशि (रेमिटेंस) विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत होती है। इस विदेशी मुद्रा का उपयोग विदेशी ऋण के भुगतान में किया जा सकता है। ऋण भुगतान की क्षमता बढ़ने से विदेशों में देश की साख बढ़ती है और उसे कम ब्याज दर पर उधार मिलने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही बिना अधिक लागत के (कर वृद्धि किये बिना) सरकार का राजस्व भी बढ़ जाता है जिसकी मदद से वह खर्चों को पूरा कर सकती है। 
  • Tags :
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
  • रेमिटेंस
  • भुगतान संतुलन
  • आधिकारिक विकास सहायता (ODA)
Download Current Article
Subscribe for Premium Features