सुर्ख़ियों में क्यों?

भारत के मराठा मिलिट्री लैंडस्केप यानी 'मराठा सैन्य किलें' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भारत के 44वें यूनेस्को धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया।
मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स के बारे में
- इसे 2021 में विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया था।
- भौगोलिक विस्तार: ये किलें महाराष्ट्र और तमिलनाडु में स्थित हैं।
- विविध और रणनीतिक अवस्थिति: इनमें तटीय किले से लेकर पहाड़ी दुर्ग शामिल हैं। ये सह्याद्री पर्वतमाला, कोंकण तट, दक्कन पठार और पूर्वी घाट सहित विभिन्न भूभागों में स्थित हैं।
- निर्माण/विकास: छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल के दौरान 17वीं शताब्दी में आरंभ हुआ और 19वीं शताब्दी में पेशवाओं के काल तक जारी रहा। ये किलें मराठा साम्राज्य की सामरिक सैन्य दृष्टि और स्थापत्य कौशल के प्रमाण हैं।
मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स के किलें (12) | प्रमुख विशेषताएं |
साल्हेर पहाड़ी किला | यहां 1672 में मराठों और मुगलों के बीच एक महत्वपूर्ण युद्ध हुआ था। |
शिवनेरी पहाड़ी किला | छत्रपति शिवाजी का जन्मस्थान। |
लोहगढ़ पहाड़ी किला | भज बौद्ध गुफाओं के पास स्थित है। |
रायगढ़ पहाड़ी किला | इसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी स्थायी राजधानी के रूप में चुना था। |
राजगढ़ पहाड़ी किला | 'हिंद स्वराज' के पहले राजनीतिक अड्डे के रूप में मान्यता प्राप्त; मुरुमबदेव पहाड़ी पर होने करण इसे पहले मुरुमदेव के नाम से जाना जाता था। मराठा साम्राज्य की राजधानी थी। यह उन 17 किलों में से एक था जिन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1665 में पुरंदर की संधि पर हस्ताक्षर करते समय अपने पास रखा था। |
जिंजी पहाड़ी किला (तमिलनाडु) | इसमें तीन अलग-अलग पहाड़ी दुर्ग तथा मोटी दीवार का किला और खड़ी चट्टानें हैं। |
प्रतापगढ़ पहाड़ी वन किला | इस किले के पास अफजल खान के साथ एक बड़ा युद्ध हुआ था। |
पन्हाला पठारी किला | ताराबाई के अधीन मराठा राज्य की राजधानी बना। |
सिंधुदुर्ग द्वीपीय किला | अरब सागर में एक लघु द्वीप पर स्थित है। |
सुवर्णदुर्ग द्वीपीय किला | इसका निर्माण संभवतः 16वीं शताब्दी ईस्वी में बीजापुर के शासकों ने कराया था। |
खंडेरी द्वीपीय किला | इसका निर्माण 1679 ईस्वी में छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में हुआ था। निर्माण का उद्देश्य मुरुद-जंजीरा दुर्ग में सिद्दियों पर नियंत्रण रखना था। |
विजयदुर्ग तटीय किला | शिवाजी ने इस किले को बीजापुर के आदिल शाह से छीना था। बाद में इसका नाम बदलकर "विजयदुर्ग" कर दिया गया। इसे "पूर्व का जिब्राल्टर" कहा जाता है। |
नोट: उपर्युक्त में से केवल जिंजी पहाड़ी किला तमिलनाडु में है, जबकि शेष 11 किलें महाराष्ट्र में स्थित हैं। |
मराठा साम्राज्य के बारे में
- स्थापना: 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज के उदय के साथ।
- 17वीं शताब्दी में शिवाजी ने विभिन्न दक्कन राज्यों से एक स्वतंत्र मराठा साम्राज्य का गठन किया। इसने 17वीं और 18वीं शताब्दी के दौरान भारत के एक बड़े हिस्से पर शासन किया।
- राजधानियां: रायगढ़ दुर्ग, जिंजी, सतारा और पुणे।
- शासन: अपने चरम पर, मराठा साम्राज्य उत्तर में पेशावर से लेकर दक्षिण में तंजावुर तक फैला हुआ था।
- प्रशासन: शिवाजी द्वारा स्थापित 'अष्टप्रधान' परिषद। इसमें आठ मंत्री शामिल थे:
- आठ मंत्री थे: पेशवा (प्रधान मंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव, मंत्री (गृह मंत्री), सेनापति (कमांडर-इन-चीफ), सुमंत (विदेश मंत्री), न्यायाध्यक्ष (मुख्य न्यायाधीश), और पंडितराव (सर्वोच्च पुरोहित)।
- राजस्व नीति:
- सरदेशमुखी: संपूर्ण मराठा साम्राज्य के राजस्व पर लगाया गया 10% कर।
- चौथ: पड़ोसी सरदारों (जिनके क्षेत्र मराठा साम्राज्य का हिस्सा नहीं थे) के कुल राजस्व का 1/4 हिस्सा।
- पतन: 1761 में पानीपत के तृतीय युद्ध में अहमद शाह अब्दाली से पराजय के बाद मराठा साम्राज्य का पतन आरंभ हुआ।
निष्कर्ष
भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता दर्शाता है, जिसमें 44 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और भविष्य की मान्यता के लिए 62 संपत्तियों की एक सक्रिय अनंतिम सूची शामिल है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों (WHS) के बारे में
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