सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रोज़गार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (Employment Linked Incentive - ELI) को मंज़ूरी दी है। इस योजना से युवाओं की रोज़गार प्राप्ति क्षमता बढ़ने, कौशल का विकास होने और निजी क्षेत्र में उनकी नौकरी सुरक्षित होने में मदद मिलने का अनुमान है।
रोज़गार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (ELI) के बारे में
- पृष्ठभूमि: यह योजना युवाओं के लिए रोज़गार और कौशल विकास के अवसर प्रदान करने वाली 'प्रधानमंत्री की पाँच योजनाओं के पैकेज' के हिस्से के रूप में केंद्रीय बजट 2024-25 में घोषित की गई थी।
- नोडल मंत्रालय: केंद्रीय श्रम और रोज़गार मंत्रालय।
- उद्देश्य: रोज़गार सृजन को बढ़ावा देना, युवाओं की रोज़गार-प्राप्ति क्षमता बढ़ाना और सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करना। इसके तहत विनिर्माण क्षेत्रक पर विशेष बल दिया जाएगा।
- लक्ष्य: 3.5 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित करना (जिसमें पहली बार नौकरी करने वाले भी शामिल हैं)।

भारत में रोज़गार-प्राप्ति क्षमता और कौशल विकास के बारे में
इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2025 के अनुसार:
- रोज़गार प्राप्ति क्षमता (Employability): 2024 में 50% से अधिक स्नातक (पुरुषों में 53.47% और महिलाओं में 46.53%) रोज़गार प्राप्ति कौशल रखते हैं, जो एक दशक पहले 33% था। इस तरह 17% की वृद्धि दर्ज की गई है।
- संवृद्धि के कारक: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्लाउड कंप्यूटिंग और ऑटोमेशन जैसी नई प्रौद्योगिकियां।
भारत में रोज़गार-प्राप्ति क्षमता और कौशल विकास के क्षेत्र में मौजूदा चुनौतियां
अगले एक दशक में भारत के रोजगार बाजार में प्रतिवर्ष 10 मिलियन कर्मियों (वर्कर्स) के जुड़ने का अनुमान है। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2023-24 में केवल 4.67 करोड़ नौकरियां ही सृजित हुईं। जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरा लाभ उठाने में, कुछ प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार हैं:
- शिक्षा व्यवस्था और उद्योग जगत की मांग में असंगति: भारत में विश्वविद्यालय सैद्धांतिक ज्ञान पर अधिक और व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने पर कम ध्यान देते हैं। स्नातकों में अक्सर व्यावहारिक अनुभव और तकनीकी दक्षता की कमी होती है, जिससे तकनीकी क्षेत्रों में उनकी रोज़गार-प्राप्ति क्षमता कम हो जाती है।
- ऑटोमेशन का ख़तरा: AI और डेटा साइंस जैसे उच्च-मांग वाले क्षेत्रों में भी, स्नातक तकनीकी कार्यों के लिए बहुत कम तैयार होते हैं। विश्व बैंक के अनुसार, भारत में 69% नौकरियों पर ऑटोमेशन का खतरा है।
- सॉफ्ट स्किल के विकास पर कम ध्यान देना: संचार/संवाद-कौशल, टीम वर्क और आलोचनात्मक सोच जैसे सॉफ्ट स्किल्स की महत्ता बढ़ रही है, लेकिन अभी भी कई विश्वविद्यालयों के कोर्स में इसे अधिक महत्ता नहीं दी गई है।
- इस अनदेखी के कारण विश्वविद्यालयों से ऐसे स्नातक तैयार होते हैं जिनमें न केवल तकनीकी दक्षता की कमी होती है, बल्कि उनमें कार्यस्थल पर प्रगति के लिए आवश्यक पारस्परिक संवाद कौशल की भी कमी होती है।
रोज़गार प्राप्ति क्षमता बढ़ाने और कौशल विकास के लिए प्रमुख पहलें
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निष्कर्ष
जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करने के लिए युवाओं को बेहतर कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है। शिक्षा, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य-देखभाल सेवा और सामाजिक सुरक्षा में तुरंत निवेश बढ़ाना चाहिए। मानव पूंजी को मज़बूत करना, श्रम बाज़ार की मांगों को पूरा करना और कार्यबल की ज़रूरतों के अनुरुप प्रौद्योगिकी से जोड़ना समावेशी और सतत विकास को गति देगा।