सुर्ख़ियों में क्यों?
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) द्वारा हाल ही में 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा ने 'फ्यूचर ऑफ वर्क' पर विमर्श बढ़ा दिया है।
अन्य संबंधित तथ्य
- कई विशेषज्ञों का मानना है कि 'फ्यूचर ऑफ वर्क' वर्तमान के ऑटोमेशन और AI के कारण नौकरियों में परिवर्तन से प्रभावित हो सकता है, जिसके कारण अलग-अलग क्षेत्रकों में छँटनी बढ़ सकती है।
- TCS के अलावा, मेटा, अमेज़ॅन जैसी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने इस साल दुनिया भर में 1,05,000 से अधिक पद समाप्त कर दिए हैं।
- इनमें से 20% छंटनी भारत में हुई, और लगभग 45% छंटनी मानव संसाधन (HR), सपोर्ट स्टाफ, कंटेंट क्रिएशन और कोडिंग जैसे क्षेत्रकों से हुई है।
- हालाँकि TCS ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला कौशल की कमी के कारण लिया गया है, न कि AI के कारण। फिर भी यह वर्तमान और आने वाले वर्षों में हमारे युवाओं की रोज़गार-प्राप्ति क्षमता और 'फ्यूचर ऑफ वर्क' को लेकर चिंताएँ पैदा करता है।
छंटनी (Layoffs) के बारे में
छंटनी से संबंधित कानूनी प्रावधान
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'फ्यूचर ऑफ वर्क' के बारे में
- 'फ्यूचर ऑफ वर्क' वास्तव में उस बदलाव को दर्शाता है, जिसमें तकनीकी, आर्थिक और जनसांख्यिकीय बदलावों के कारण कार्य करने, संगठित होने और कार्य अनुभव का तरीका बदल रहा है।

'फ्यूचर ऑफ वर्क' को निम्नलिखित कारक कैसे प्रभावित करते हैं?
- आर्थिक प्रभाव
- नौकरी के प्रकारों में बदलाव: 170 मिलियन नई नौकरियां सृजित होने का अनुमान है। पारंपरिक और मैन्युअल रोजगार की जगह उच्च-कौशल, ज्ञान-आधारित और सेवा-आधारित कार्यों की प्रमुखता बढ़ रही है, जैसे बिग डेटा स्पेशलिस्ट, फिनटेक इंजीनियर आदि।
- जिन नौकरियों पर खतरा है: माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं का तर्क है कि लेखन, अनुसंधान, और संचार से जुड़ी नौकरियों (अनुवादक, पत्रकार और इतिहासकार) की जगह AI टूल्स ले सकता है।
- उत्पादकता में वृद्धि: मैकिन्से की रिपोर्ट के अनुसार, जनरेटिव AI हर साल अर्थव्यवस्था में लगभग 2.6–4.4 ट्रिलियन डॉलर जोड़कर उत्पादकता को बढ़ावा दे सकता है।
- रोजगार के नए क्षेत्रक: ILO का अनुमान है कि 2021 और 2030 के बीच 54 मिलियन ग्रीन जॉब्स सृजित होंगे।
- कार्यबल और कौशल पर प्रभाव
- री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग: भविष्य की जरूरत के अनुरूप कार्यबल को एनालिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिव थिंकिंग और चुनौतियों से निपटने के कौशल से युक्त होना आवश्यक है।
- कौशल में बदलाव: विश्व आर्थिक मंच (WEF) के अनुसार, 2030 तक 39% कार्य बल के मूल कौशल में बदलाव आएगा।
- सामाजिक प्रभाव
- असमानता की चिंताएँ: उच्च-कौशल और निम्न-कौशल वाले कर्मचारियों के वेतन और अवसरों की संख्या में अंतर बढ़ सकता है। जैसे सॉफ्टवेयर डेवलपर और डेटा एंट्री ऑपरेटर के बीच अंतर।
- लैंगिक असमानता बढ़ सकती है: ILO के अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि भारत में पुरुषों और महिलाओं के औसत पारिश्रमिक में लगभग 34% का अंतर है, जबकि वैश्विक औसत 20% है।
- आदिवासी विकास पर प्रभाव: अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर भारत की औसत साक्षरता दर से 13% कम है, जिससे उनके कौशल विकास पर असर पड़ता है।
- नैतिक प्रभाव
- सामाजिक ज़िम्मेदारी: IT कंपनियों की सामाजिक ज़िम्मेदारी है कि वे निष्पक्ष और मानवीय कार्यबल प्रबंधन कार्यपद्धतियां सुनिश्चित करें, खासकर कार्यबल के विकास में किए गए अधिक निवेश को देखते हुए।
- श्रमिकों के अधिकार: "हायर एंड फायर" (काम पर रखना और निकालना) के इस युग में व्यावसायिक दक्षता और कर्मचारी कल्याण के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।
- मनोवैज्ञानिक प्रभाव: नौकरी और घरेलू जीवन के बीच संतुलन बिगड़ सकता है; कमर्चारियों में चिंता, तनाव और कई अन्य मानसिक बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं।
'फ्यूचर ऑफ वर्क' के लिए सरकार द्वारा की गई पहलें
- स्किलिंग, अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): यह शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग (STT) के माध्यम से कौशल विकास प्रशिक्षण और रिकग्निशन ऑफ़ प्रायर लर्निंग (RPL) के माध्यम से अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग प्रदान करने के लिए शुरू की गई योजना है।
- फ्यूचरस्किल्स प्राइम: यह नैसकॉम तथा केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) की एक डिजिटल कौशल पहल है, जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल प्रतिभा वाला राष्ट्र बनाना है।
- नई और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए पहलें:
- AI फॉर इंडिया 2030 पहल: यह केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू की गई हैं।
- राष्ट्रीय इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स मिशन (NM-ICPS): भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के इस मिशन का उद्देश्य नए क्षेत्रकों में स्टार्टअप, मानव संसाधन और स्किल-सेट्स को बढ़ावा देना है।
- स्वास्थ्य-देखभाल और सेहतमंदी के लिए पहलें
- राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Tele Mental Health Programme): इसका उद्देश्य मानसिक रोगियों को बेहतर काउंसलिंग और बेहतर देखभाल सेवाएं प्रदान करना है।
निष्कर्ष
व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा और कार्यबल के कल्याण के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। कौशल विकास, सामाजिक सुरक्षा और नैतिक कॉर्पोरेट पद्धतियों में लगातार निवेश करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फ्यूचर ऑफ वर्क समावेशी, मजबूती और न्यायसंगत बना रहे।