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प्रधान मंत्री धन-धान्य कृषि योजना {PRIME MINISTER DHAN-DHAANYA KRISHI YOJANA (PMDDKY)} | Current Affairs | Vision IAS
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प्रधान मंत्री धन-धान्य कृषि योजना {PRIME MINISTER DHAN-DHAANYA KRISHI YOJANA (PMDDKY)}

Posted 19 Aug 2025

Updated 26 Aug 2025

1 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

केंद्रीय बजट 2025–26 की घोषणा के अनुरूप, प्रधान मंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) को छह वर्षों की अवधि के लिए मंज़ूरी दी गई है।

अन्य संबंधित तथ्य

  • नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम की तर्ज पर शुरू की गई यह योजना 'कृषि और संबद्ध क्षेत्रों' के लिए है।
  • इस योजना में कृषि क्षेत्र में कमतर प्रदर्शन करने वाले 100 ऐसे जिले शामिल किए गए हैं, जो कम फसल पैदावार, पानी की कमी तथा सीमित संसाधन जैसी समस्याएं झेल रहे हैं।

योजना के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:

  • बजटीय आवंटन: वित्त वर्ष 2025-26 से शुरू होकर छह साल की अवधि के लिए हर साल 24,000 करोड़ रुपये।
  • कार्यान्वयन: यह योजना केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाएगी और इसकी निगरानी निम्नलिखित त्रिस्तरीय संरचना के माध्यम से की जाएगी:
    • राष्ट्रीय स्तर के निरीक्षण निकाय
    • राज्य-स्तरीय नोडल समितियां
    • जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला धन-धान्य समितियां
      • ये समितियां व्यापक हितधारकों से परामर्श के बाद जिला कृषि और संबद्ध गतिविधियां योजना तैयार करेंगी।
    • नीति आयोग भी जिला योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन करेगा। प्रत्येक जिले के लिए नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी नियमित आधार पर योजना की समीक्षा करेंगे।
  • सभी पात्र लाभार्थियों तक पहुंचना और योजनाओं में समन्वय: यह योजना 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा कृषि योजनाओं (जैसे- पीएम-किसान,प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना, आदि), राज्य की योजनाओं और निजी क्षेत्र के साथ स्थानीय साझेदारियों में समन्वय सुनिश्चित करती है।
  • प्रगति की निगरानी: प्रत्येक धन-धान्य जिले की प्रगति की 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर निगरानी की जाएगी।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: डिजिटल डैशबोर्ड, किसान ऐप और जिला रैंकिंग प्रणाली के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
  • जिलों के चयन का मापदंड: नीति आयोग निम्न मापदंडों के आधार पर 100 जिलों का चयन करेगा:
    • कम फसल-उत्पादकता: जिनकी उपज राष्ट्रीय औसत से कम है।
    • सामान्य फसल-गहनता: जिनकी फसल गहनता राष्ट्रीय औसत (155%) से कम है।
    • कम ऋण वितरण: जहां बैंक ऋण या किसान क्रेडिट कार्ड वितरण कम हुआ है।
  • भौगोलिक प्रतिनिधित्व: प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से कम-से-कम एक जिले का चयन किया जाएगा।

प्रधान मंत्री धन-धान्य कृषि योजना का महत्व

कृषि की समस्याएं

जिम्मेदार कारक

PMDDKY के प्रावधान

कम फसल-उत्पादकता

मृदा की उर्वरता कम होना, खेती के पुराने तरीके का उपयोग, सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं होना, भूखंड का छोटा आकार (लगभग 86% किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है, NSSO 2019)।

उदाहरण: सीमांचल (बिहार) में धान की पैदावार औसतन 1.8 टन प्रति हेक्टेयर है जो 2.7 टन के राष्ट्रीय औसत से कम है।

उच्च उत्पादकता वाले बीज, जैव उर्वरक, और सीड ड्रिल जैसे आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाएँगे।

सिंचाई की कमी

भारत की 52% कृषि भूमि सिंचाई के लिए मानसूनी वर्षा पर निर्भर है। उदाहरण के लिए-  बुंदेलखंड में 2023 के सूखे में 30% फसलें बर्बाद हो गईं।

सूखा क्षेत्रों में सालभर खेती संभव बनाने के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियां उपलब्ध कराई जाएंगी।

वित्तीय सहयोग की कमी

उच्च गुणवत्ता वाले बीज, जैव उर्वरक और ट्रैक्टर/ हार्वेस्टर जैसे आधुनिक उपकरण महंगे होने के कारण किसान खरीद नहीं पाते हैं।

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और नाबार्ड (NABARD) के माध्यम से सब्सिडी और ऋण की सुविधा।

भंडारण की कमी

ICAR 2023 के अनुसार टमाटर और आम जैसी 20% फसलें कोल्ड स्टोरेज की सुविधा की कमी के कारण खराब हो जाती हैं।

गाँव और ब्लॉक स्तर पर गोदाम और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि फसल खराब न हो।

किसानों की कम आय

बाज़ार की जानकारी नहीं होना और बिचौलियों पर निर्भरता आदि वजहों से किसानों का लाभ घटता है।

दाल और सब्जियों जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा, तथा e-NAM व नई PMDDKY ऐप जैसी डिजिटल प्लेटफॉर्म से किसानों को खरीदारों से सीधे जोड़ा जाएगा।

असंधारणीय कृषि-पद्धतियाँ

रसायनों, कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग और एक ही फसल की खेती पर अधिक निर्भरता।

जैव-उर्वरकों का उपयोग बढ़ाया जाएगा, जल की बचत करने वाली सिंचाई पद्धति और जलवायु-अनुकूल फसलों की खेती को अपनाने पर ज़ोर दिया जायेगा।

प्रशिक्षण और कौशल विकास की कमी

निरक्षरता, जानकारी की कमी और विशेषकर कौशल कार्यक्रमों में महिलाओं की कम भागीदारी।

  • निःशुल्क कार्यशाला: कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), कृषि विश्वविद्यालय और निजी साझेदारों द्वारा आधुनिक खेती, ड्रोन उपयोग और मधुमक्खी पालन जैसी सहायक गतिविधियों पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएगी।
  • विश्व के उदाहरणों से सीखना: इजरायल (ड्रिप सिंचाई), जापान (प्रिसिजन फार्मिंग), और नीदरलैंड (ग्रीनहाउस तकनीक) जैसे देशों में 500 किसानों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा और इसका पूरा खर्च सरकार उठाएगी।
  • महिला सशक्तिकरण: 10,000 महिला कृषि-उत्पादक समूहों को प्रशिक्षण और ऋण उपलब्ध कराया जाएगा; तथा डेयरी, जैविक खेती जैसी गतिविधियों के लिए कृषि मंडी से जोड़ने में सहायता की जाएगी।

 

 

निष्कर्ष

प्रधान मंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) भारतीय कृषि का कायाकल्प करने की एक प्रमुख पहल है। इस योजना से कृषि क्षेत्र में 100 पिछड़े जिलों के 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा। सिंचाई, भंडारण, ऋण, प्रशिक्षण, बाज़ार तक पहुँच और आधुनिक तकनीक के माध्यम से यह योजना लघु किसानों, महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाती है तथा संधारणीय और लाभकारी खेती को प्रोत्साहित करती है।

  • Tags :
  • PMDDKY
  • Agriculture
  • NITI AAYOG
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