वैकल्पिक निवेश कोष (ALTERNATIVE INVESTMENT FUND: AIF)
RBI ने संशोधित दिशा-निर्देश जारी कर विनियमित संस्थाओं द्वारा AIF योजना की कुल राशि के 20% तक निवेश करने की सीमा तय कर दी है।
वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) के बारे में
- यह भारत में पंजीकृत फंड आधारित संस्था है, जो निजी रूप से निवेश जुटाती है। साथ ही, ये अपने निवेशकों के लाभ के लिए निर्धारित निवेश नीति के अनुसार, निवेश करने हेतु भारतीय या विदेशी अनुभवी निवेशकों से फंड भी एकत्रित करता है।
- AIF का विनियमन भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा SEBI (वैकल्पिक निवेश कोष) विनियम, 2012 के तहत किया जाता है।
AIF की श्रेणियां
- श्रेणी I AIF: ये स्टार्ट-अप्स, सोशल वेंचर, लघु और मध्यम उद्यम (SME) आदि में निवेश करते है।
- इनके उदाहरण हैं- वेंचर कैपिटल फंड, एंजेल फंड, SME फंड, अवसंरचना फंड, आदि।
- श्रेणी II AIF: वे अपने दैनिक परिचालन खर्चों को पूरा करने के अलावा किसी अन्य प्रकार के ऋण या ऋण प्रतिभूतियों में निवेश का उपयोग नहीं करते हैं।
- इनके उदाहरण हैं: रियल एस्टेट फंड, ऋण निवेश फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड आदि।
- श्रेणी III AIF: ये फंड्स रिटर्न बढ़ाने के लिए उधारी लेकर निवेश करते हैं, जिनमें सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध डेरिवेटिव्स में निवेश भी शामिल है।
- इनके उदाहरण हैं: हेज फंड, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट इन पब्लिक इक्विटी (PIPE) फंड आदि।
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डिजिटल भुगतान सूचकांक (DIGITAL PAYMENTS INDEX: DPI)
पिछले 6 वित्तीय वर्षों में भारतीय डिजिटल भुगतान व्यवस्था में 65,000 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन हुए हैं, जिनका मूल्य लगभग 12,000 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
डिजिटल भुगतान सूचकांक (DPI) के बारे में
- RBI ने DPI (जो आधिकारिक रूप से हर छमाही आधार पर प्रकाशित होता है) को भारत में डिजिटल भुगतान सुविधा को अपनाने में हुई प्रगति को मापने के लिए विकसित किया है।
- DPI में निम्नलिखित व्यापक पैरामीटर शामिल हैं: भुगतान सक्षमकर्ता; भुगतान अवसंरचना - मांग-पक्ष कारक और आपूर्ति-पक्ष कारक; भुगतान प्रदर्शन; उपभोक्ता केंद्रीयता।
- नवीनतम RBI-DPI के अनुसार, 2018 से अब तक डिजिटल भुगतान की पैठ में चार गुना वृद्धि हुई है।
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वित्तीय स्थिति सूचकांक (Financial Conditions Index: FCI)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक अध्ययन में दैनिक आधार पर बाजार के रुझानों पर नज़र रखने के लिए वित्तीय स्थिति सूचकांक (FCI) की शुरुआत का प्रस्ताव दिया गया है।
वित्तीय स्थिति सूचकांक (FCI) के बारे में
- यह 2012 के बाद से ऐतिहासिक औसत के संदर्भ में अपेक्षाकृत कठिन या आसान वित्तीय बाजार स्थितियों के स्तर का आकलन करता है।
- इसमें चुने हुए संकेतक पांच बाजार खंडों का प्रतिनिधित्व करते हैं: मुद्रा बाजार, सरकारी प्रतिभूति बाजार, कॉर्पोरेट बॉण्ड बाजार, विदेशी मुद्रा बाजार और इक्विटी बाजार।
- FCI का उच्च सकारात्मक मान यह दर्शाता है कि बाजार की स्थिति अधिक नियंत्रित है।
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ग्लोबल फाइंडेक्स 2025 (GLOBAL FINDEX 2025)
हाल ही में विश्व बैंक की ‘ग्लोबल फाइंडेक्स 2025’ रिपोर्ट जारी की गई। यह रिपोर्ट डिजिटल और वित्तीय समावेशन में उपलब्धियों को दर्शाती है।
रिपोर्ट में भारत से जुड़े मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- भारत में लगभग 90% लोग खाताधारक (Account ownership) हैं अर्थात वे वित्तीय प्रणाली से जुड़ चुके हैं।
- 16% खाताधारकों के खाते निष्क्रिय हैं यानी इनमें कोई लेनदेन नहीं होता है। अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह अनुपात केवल 4% है।
- 2021 से 2024 के बीच, केवल निष्क्रिय खाते रखने वाली महिलाओं और पुरुषों का अनुपात कम हुआ है।
- मोबाइल फोन नहीं रखने में मुख्य बाधाएं हैं –
- डिवाइस की ऊँची कीमत
- भरोसेमंद मोबाइल नेटवर्क कवरेज की कमी।
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स्टेबलकॉइन्स (STABLECOINS)
यू.एस. कांग्रेस ने स्टेबलकॉइन्स को विनियमित करने के लिए ‘जीनियस एक्ट’ पारित किया। यह एक्ट स्टेबलकॉइन्स के लिए एक विनियामक ढाँचा (नियम और कानून) स्थापित करेगा।
- स्टेबलकॉइन एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी है, जिसका मूल्य किसी अन्य मुद्रा, वस्तु या वित्तीय साधन से जुड़ा होता है। उदाहरण के लिए- टेथर (USDT), जिसकी कीमत अमेरिकी डॉलर से जुड़ी होती है।
- इनसे भुगतान करने में आसानी और तेजी आ सकती है।
स्टेबलकॉइन्स का उपयोग क्यों बढ़ा है?
- आधारभूत/ अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Asset) से संबद्ध: इससे स्टेबलकॉइन्स अपनी कीमत को ज्यादा स्थिर बनाए रखते हैं। इसी वजह से वे बिटकॉइन जैसी ज्यादा उतार‑चढ़ाव वाली क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में लेन‑देन के लिए ज्यादा भरोसेमंद बन गए हैं।
- आधारभूत/अंतर्निहित परिसंपत्तियों के पीछे सामान्यतः कोई संस्था या जारीकर्ता होता है, जो उनकी कीमत की गारंटी देता है। इसके विपरीत, कई क्रिप्टोकरेंसी (जैसे बिटकॉइन) किसी केंद्रीय संस्था या जारीकर्ता द्वारा समर्थित नहीं होतीं। इसी कारण स्टेबलकॉइन्स के जारीकर्ता की पहचान करना अपेक्षाकृत सरल होता है।
- जारीकर्ता कोई बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान, या बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां हो सकती हैं।
- विनियमन (Regulation): स्टेबलकॉइन्स से जुड़े नियमों और फैसलों को आमतौर पर एक संचालन निकाय द्वारा तय किया जाता है।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी या क्रिप्टो परिसंपत्तियों का विनियमन:
- वर्तमान में, भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए कोई प्रत्यक्ष विनियमन नहीं है।
- हालांकि, सरकार ने वित्त अधिनियम, 2022 के माध्यम से वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों (VDAs) के लेन-देन के लिए एक व्यापक कराधान व्यवस्था लागू की है।
- इस व्यवस्था के जरिए VDAs से होने वाले पूंजीगत लाभ पर 30% कर लगाया गया है।
- आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार VDA का अर्थ है– क्रिप्टोग्राफिक माध्यमों या अन्य माध्यमों से उत्पन्न कोई भी जानकारी, कोड, संख्या या टोकन जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप से ट्रांसफर, स्टोर या ट्रेड किया जा सके। उदाहरण: क्रिप्टोकरेंसी, नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) आदि।
- 2023 में, VDAs को धन-शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के दायरे में भी ला दिया गया था।
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OECD-FAO ने ‘एग्रीकल्चर आउटलुक 2025-2034’ जारी किया (AGRICULTURAL OUTLOOK 2025-2034 RELEASED BY OECD-FAO)
- जारीकर्ता: OECD और FAO द्वारा।
- यह आउटलुक राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर कृषि आधारित उत्पादों (मछली सहित) तथा उनके बाजारों के लिए दस साल की संभावनाओं का व्यापक आकलन प्रदान करता है।
- इस आउटलुक के अनुसार वैश्विक बाजार रुझानों (2024) पर एक नजर
- जैव ईंधन: इसकी मांग में प्रतिवर्ष 0.9% की वृद्धि होने का अनुमान है, जिसका नेतृत्व भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया कर रहे हैं।
- कपास: वैश्विक स्तर पर कपास के उपयोग में वृद्धि हुई है। साथ ही, भारत चीन को पछाड़कर कपास का शीर्ष उत्पादक बनने की ओर अग्रसर है।
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- Agricultural Outlook 2025-2034