समाज में सूक्ष्म स्तर पर व्याप्त लैंगिक भेदभाव (Subtle Gender Discrimination in Society) | Current Affairs | Vision IAS
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    संक्षिप्त समाचार

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 03 Dec 2025

    3 min read

    समाज में सूक्ष्म स्तर पर व्याप्त लैंगिक भेदभाव (Subtle Gender Discrimination in Society)

    भारत के उपराष्ट्रपति ने समाज में सूक्ष्म स्तर पर व्याप्त लैंगिक भेदभाव को दूर करने पर बल दिया।

    • उपराष्ट्रपति के अनुसार, प्रत्यक्ष रूप वाले लैंगिक भेदभाव (जैसे- जेंडर अनुकूल अवसंरचना का अभाव आदि) का उन्मूलन हो गया है, परन्तु इस भेदभाव ने अब सूक्ष्म रूप धारण कर लिया है। 
    • सूक्ष्म स्तर पर लैंगिक भेदभाव उन दृष्टिकोणों और व्यवहारों के माध्यम से प्रकट होता है, जो पहली नजर में जेंडर अनुकूल लग सकते हैं, परन्तु वास्तव में वे जेंडर आधारित पारंपरिक भूमिकाओं को मजबूत बनाने और असमानता बनाए रखने में योगदान देते हैं।

    लैंगिक भेदभाव के सूक्ष्म रूप

    • रूढ़िवादिता को मजबूत करने वाली प्रशंसा: इसके तहत ऐसी सकारात्मक टिप्पणियां शामिल होती हैं, जो वास्तव में पुरुषों और महिलाओं की पारंपरिक भूमिकाओं को मजबूती प्रदान करती हैं और महिलाओं की क्षमताओं को कमतर करती हैं।
    • भर्ती, पदोन्नति और मूल्यांकन: शारीरिक बल वाले कार्यों अथवा नेतृत्व या प्रबंधन वाले पदों पर पुरुषों को नियुक्त किए जाने से संबंधित रूढ़िवादी पूर्वाग्रह अभी भी मौजूद है। 
    • सूक्ष्म स्तर पर अपमान (माइक्रोअग्रेशन): अक्सर अनजाने में की गई छोटी-छोटी टिप्पणियां भी लैंगिक रूढ़िवादिता को मजबूत करती हैं, भले ही ये टिप्पणियां प्रत्यक्ष रूप से हानि नहीं पहुंचाती हों। उदाहरण के लिए- यह कहना कि महिलाएं पारिवारिक कारणों से अपने करियर के प्रति कम प्रतिबद्ध होती हैं।
    • ऑफिस कार्य और घरेलू जीवन के बीच संतुलन से जुड़ी मान्यताएं: पारंपरिक रूप से समाज यह मानता है कि बच्चों की देखभाल और पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने का काम महिलाओं का है। इस प्रकार की मान्यताएं महिलाओं को अधिक प्रभावित कर सकती हैं।

    लैंगिक भेदभाव के सूक्ष्म रूपों के समाधान के तरीके

    • जेंडर उजागर किए बिना उम्मीदवार का मूल्यांकन: उदाहरण के लिए, नौकरी हेतु आवेदन में शारीरिक माप या लक्षणों की मांग नहीं की जानी चाहिए। 
    • समावेशिता की संस्कृति बनाना: कार्यस्थलों पर ऐसी संस्कृति विकसित की जानी चाहिए, जो जेंडर तटस्थ होकर सभी के विचारों और सुझावों का सम्मान करती हो।
    • कार्यस्थल पर रूढ़िवादी लैंगिक पूर्वाग्रह पर नजर रखना: यह कार्य विविध तरीकों के माध्यम से संपन्न किया जा सकता है। इनमें लोगों की धारणाओं का सर्वेक्षण; भाषा के प्रयोग का विश्लेषण; वेतन और करियर उन्नति में जेंडर के आधार पर भेदभाव का विश्लेषण आदि शामिल हैं। 
    • पुरुषवादी मानसिकता को बदलने की आवश्यकता: यह लैंगिक मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता को व्यापक तौर पर बढ़ावा देने के जरिए किया जाना चाहिए।
    • Tags :
    • Gender Equality
    • Gender Discrimination
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    • Beti Bachao Beti Padhao Scheme

    NPS वात्सल्य योजना (NPS Vatsalya Scheme)

    हाल ही में, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली वात्सल्य (NPS वात्सल्य) योजना शुरू की गई है। यह नाबालिगों के लिए एक पेंशन योजना है। 

    NPS वात्सल्य योजना

    • पात्रता: सभी नाबालिग नागरिक (18 वर्ष से कम आयु)।
      • वयस्क होने पर योजना को आसानी से सामान्य NPS खाते में परिवर्तित किया जा सकता है।
    • विनियमन और प्रशासन: पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA)।
    • उद्देश्य: दीर्घकालिक वित्तीय योजना और सुरक्षा को बढ़ावा देना; बचत की आदत विकसित करना और वृद्धावस्था में सम्मानजनक जीवन जीने हेतु प्रेरित करना। 
    • सब्सक्राइबर का योगदान:  
      • न्यूनतम: 1000/- रुपये प्रति वर्ष।
      • अधिकतम: कोई सीमा नहीं। 
    • PFRDA सब्सक्राइबर्स को सरकारी प्रतिभूतियां, कॉर्पोरेट ऋण, इक्विटी जैसे विविध निवेश विकल्प उपलब्ध कराएगा। 
    • Tags :
    • PFRDA
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