व्हाइट कैटेगरी सेक्टर्स (White Category Sectors) | Current Affairs | Vision IAS
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    संक्षिप्त समाचार

    Posted 30 Oct 2024

    13 min read

    व्हाइट कैटेगरी सेक्टर्स (White Category Sectors)

    व्हाइट कैटेगरी सेक्टर्स को अब वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत स्थापित व संचालित करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।

    • राज्य बोर्डों की मंजूरियों को आधिकारिक तौर पर ‘स्थापना की सहमति’ (Consent to establish) और ‘संचालन की सहमति’ (Consent to operate) कहा जाता है। ऐसी मंजूरियां उन उद्योगों को विनियमित करने के लिए दी जाती हैं जो अपशिष्टों को बहाते हैं या पर्यावरण में प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं।
    • अब व्हाइट कैटेगरी के उद्योगों को स्व-घोषणा (Self-declarations) के माध्यम से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सूचित करना होगा।

    व्हाइट कैटेगरी सेक्टर्स

    • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उन उद्योगों को व्हाइट कैटेगरी के रूप में वर्गीकृत करता है, जो प्रदूषण नहीं फैलाते हैं। 
    • ऐसे सेक्टर्स में पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाएं, एयर कूलर की असेंबलिंग, साइकिल असेंबलिंग आदि शामिल हैं।
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    • consent to establish
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    जलवायु अनुकूल और बायो-फ़ोर्टीफाइड फसलों की किस्में जारी (Climate Resilient and Biofortified Varieties of Crops Released)

    प्रधान मंत्री ने उच्च उपज देने वाली, जलवायु अनुकूल और बायो-फ़ोर्टीफाइड फसलों की 109 किस्में जारी की

    • इन फसलों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित किया गया है। फसलों की इन नई किस्मों को “लैब टू लैंड” कार्यक्रम के तहत जारी किया गया है। 
    • ICAR एक फसल-सुधार कार्यक्रम चला रहा है। इसका उद्देश्य व्यापक अनुकूलन क्षमता और उच्च उपज देने वाली नई फसल किस्मों और संकर किस्मों का विकास करना है।  
    • फसल-सुधार प्रक्रिया अलग-अलग रणनीतियों का उपयोग करती है, जैसे-
      • जीनोमिक्स: अस्सिटेड सिलेक्शन;
      • फेनॉमिक्स: गुणात्मक और मात्रात्मक लक्षणों का व्यवस्थित मापन एवं विश्लेषण; तथा 
      • पारंपरिक प्रजनन या जैव-प्रौद्योगिकी आधारित एप्रोच्स: जैसे आनुवंशिक इंजीनियरिंग और जीनोम एडिटिंग।

    फसल सुधार की आवश्यकता क्यों है?

    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का प्रबंधन: जलवायु अनुकूल बीज प्रतिकूल मौसम (हीट वेव्स, सूखा आदि) में भी अच्छी फसल पैदा कर सकते हैं, उदाहरण के लिए, बीटी-कपास। 
      • जलवायु अनुकूल फसलें रोगों और कीटों के हमलों के कारण होने वाली फसलों की हानि को कम करती हैं। 
    • खाद्य सुरक्षा: विश्व आर्थिक मंच के अनुसार 2030 तक कृषि उपज में 16% तक की गिरावट आ सकती है। 
    • पोषण सुरक्षा: भारत सरकार देश को कुपोषण से मुक्त बनाने के लिए मिड-डे मील (पी.एम. पोषण योजना) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बायो-फोर्टिफाइड भोजन को बढ़ावा दे रही है।
      • इसके अलावा, ये किफायती भी हैं क्योंकि बायो-फोर्टिफाइड किस्मों की फसल में पोषण युक्त खाद्यान्न तैयार करने पर कोई अतिरिक्त लागत नहीं आती है। उदाहरण के लिए- विटामिन-A से भरपूर मक्का।
    • किसानों की आय में वृद्धि: उच्च उपज देने वाली और जलवायु अनुकूल फसल किस्में किसानों को बेहतर आय प्राप्त करने में योगदान करती हैं।

    बायो-फोर्टिफिकेशन के बारे में

    • यह खाद्य फसलों की पोषण गुणवत्ता में सुधार करने की प्रक्रिया है। उदाहरण के लिए- आयरन और जिंक से भरपूर गेहूं। 
    • यह पारंपरिक फोर्टिफिकेशन से अलग है, क्योंकि इसका उद्देश्य प्रसंस्करण के दौरान मैनुअल साधनों की बजाय फसलों की वृद्धि के दौरान उनमें पोषक तत्वों के स्तर को बढ़ाना है।

    लैब टू लैंड कार्यक्रम के बारे में

    • यह कार्यक्रम कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित उन्नत प्रौद्योगिकी को किसानों तक पहुंचाने को बढ़ावा देता है।
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    • Food Security
    • Indian Council of Agricultural Research (ICAR)
    • Biofortified Crops
    • Lab to Land Programme
    • Nutritional Security
    • Climate Resilient Crops

    फ्रंट रनिंग (Front Running)

    सेबी (SEBI) ने धोखाधड़ी वाले लेन-देन और फ्रंट रनिंग को रोकने के लिए म्यूचुअल फंड्स हेतु मानदंड अधिसूचित किए हैं।

    फ्रंट रनिंग के बारे में

    • सेबी के अनुसार इसका तात्पर्य किसी बड़े ऑर्डर से पहले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने, या ऑप्शंस या फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स (वायदा अनुबंध) करने के लिए गैर-सार्वजनिक सूचना के उपयोग से है।
    • इससे वित्तीय बाजारों में विश्वास कम होता है और अन्य निवेशकों को  समान अवसर नहीं मिलता है।
    • भारत में यह अवैध है।
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    • SEBI
    • Front Running

    खुला बाजार बिक्री योजना (OMSS) (घरेलू) {Open Market Sale Scheme (OMSS) (Domestic)}

    राज्य 1 अगस्त, 2024 से ई-नीलामी में भाग लिए बिना खुला बाजार बिक्री योजना (OMSS) (घरेलू) के तहत भारतीय खाद्य निगम (FCI) से चावल की खरीद कर सकते हैं।

    • इसका लक्ष्य नए खरीद सीजन की शुरुआत से पहले स्टॉक के भारी अधिशेष को कम करना है।

    OMSS- घरेलू

    • इसका अर्थ ई-नीलामी के माध्यम से खुले बाजार में खाद्यान्न (गेहूं और चावल) की पेशकश से है। यह पेशकश उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा निर्धारित कीमतों पर की जाती है
    • इसका उद्देश्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से बाजार में कीमतों को नियंत्रित करना है।
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    • Food Corporation of India (FCI)
    • Open Market Sale Scheme

    समुद्री सिवार मूल्य श्रृंखला पर नीति आयोग की रिपोर्ट (NITI Aayog’s Report on Seaweed Value Chain)

    नीति आयोग ने "समुद्री सिवार मूल्य श्रृंखला के विकास के लिए रणनीति" शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की।

    • समुद्री सिवार (Seaweeds) कई प्रकार के समुद्री पादप और बड़े शैवाल होते हैं। ये समुद्रों, नदियों, झीलों और अन्य जल निकायों में पनपते हैं।
    • समुद्री सिवार की खेती जलीय कृषि का हिस्सा है। मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्रक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 1.5% का योगदान देते हैं। 

    समुद्री सिवार की खेती का महत्त्व

    • आर्थिक महत्त्व: ये खाद्य पदार्थों, औषधियों आदि में जैव सक्रिय यौगिकों और उपयोगों के लिए अति महत्वपूर्ण हैं। 
    • पर्यावरणीय महत्त्व: समुद्री सिवार कार्बन पृथक्करण और जलवायु लचीलेपन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
    • अनिवार्य पोषक तत्व: ये विटामिन A, B1, B12 जैसे महत्वपूर्ण विटामिन एवं खनिज प्रदान करते हैं।

    समुद्री सिवार की खेती के समक्ष चुनौतियां

    • एक व्यापक नीतिगत ढांचे की कमी है।
    • गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता की कमी है। 
    • पारिस्थितिकी संबंधी चिंताएं मौजूद हैं। जैसे- जैव विविधता और प्रवाल भित्तियों पर विदेशी प्रजातियों का प्रभाव पड़ सकता है।

    समुद्री सिवार की खेती को बढ़ावा देने के लिए की गई सिफारिशें

    • विनियामक और गवर्नेंस संबंधी सुधार: राष्ट्रीय संचालन समिति का गठन किया जाना चाहिए। साथ ही, समुद्री सिवार के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण (PSL) श्रेणी आदि की शुरुआत की जानी चाहिए।
    • सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय सहायता: समुद्री सिवार को फसल बीमा प्रदान किया जाना चाहिए। स्वयं सहायता संगठनों (SHGs) आदि के माध्यम से किसानों को संगठित किया जाना चाहिए। 
    • बुनियादी ढांचा और संस्थान: बीज बैंक, प्रसंस्करण केंद्र, विपणन केंद्र आदि की स्थापना की जानी चाहिए। 
    • Tags :
    • Aquaculture
    • Seaweed Value Chain
    • Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojna (PMMSY)

    बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 लोक सभा में पेश किया गया {Banking Laws (Amendment) Bill, 2024 Introduced in Lok Sabha}

    यह संशोधन विधेयक इसलिए लाया गया है, क्योंकि देश का बैंकिंग क्षेत्रक पिछले कई वर्षों के दौरान कई चरणों में विकसित हुआ है। इस कारण समय के साथ बैंक गवर्नेंस में सुधार करना आवश्यक हो गया है।

    • यह विधेयक निम्नलिखित में संशोधन का प्रस्ताव करता है:  
    • RBI अधिनियम, 1934;
    • बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949;
    • SBI अधिनियम, 1955;
    • बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970;
    • बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1980. 

    विधेयक के मुख्य प्रावधानों पर एक नजर 

    • नॉमिनी व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि: यह जमाकर्ताओं को एक साथ (उनके शेयरों के निर्दिष्ट अनुपात में) और क्रमिक रूप से अधिकतम चार व्यक्तियों को नॉमिनी बनाने की अनुमति प्रदान करता है।
      • क्रमिक नॉमिनेशन: विशिष्ट क्रम में सूचीबद्ध नॉमिनी व्यक्तियों से क्रम के अनुसार धन का दावा करने हेतु संपर्क किया जाएगा।
    • निवेशक शिक्षा और सुरक्षा निधि (IEPF): संशोधन विधेयक में लगातार 7 वर्षों तक दावा न किए गए लाभांश, शेयर और ब्याज के हस्तांतरण या बॉण्ड के मोचन (Redemption) से प्राप्त धन राशि को IEPF में डालने का प्रावधान किया गया है।
    • विधेयक व्यक्तियों को IEPF से अंतरण/ रिफंड का दावा करने की अनुमति देता है।
    • शेयरधारिता में पर्याप्त वृद्धि: निदेशक पद के लिए शेयरधारिता की सीमा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दी गई है।
    • सहकारी बैंकों के लिए प्रावधान: 
      • सहकारी बैंकों में निदेशकों का कार्यकाल 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रावधान किया गया है। 

    विधेयक का महत्त्व

    • भारतीय रिजर्व बैंक को की जाने वाली रिपोर्टिंग में निरंतरता प्रदान करेगा।
    • नॉमिनी व्यक्तियों की संख्या बढ़ाने से दावा न की गई जमा राशि को कम करने में मदद मिलेगी। मार्च 2023 तक इस प्रकार की जमा राशि 42,000 करोड़ रुपये से अधिक थी।
      • बिना दावे की जमा राशि बचत/ चालू खातों में बैलेंस राशि है। इन खातों का या तो 10 वर्षों से संचालन नही किया जा रहा है या फिर ये मच्योरिटी की तारीख से 10 वर्षों के भीतर दावा नहीं की गई सावधि जमाएं हैं।
    • Tags :
    • Banking Laws (Amendment) Bill, 2024
    • Investor education and protection fund (IEPF)

    ग्रेन ATM (Grain ATM)

    विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और ओडिशा सरकार ने संयुक्त रूप से भुवनेश्वर में 24/7 'ग्रेन ATM' शुरू किया।

    • 'अन्नपूर्ति' नामक भारत के पहले 24/7 'ग्रेन ATM' पूरे ओडिशा में स्थापित किए जाएंगे। इन ग्रेन ATMs से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के लाभार्थियों को हर समय यानी 24/7 खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा। 
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को सब्सिडी युक्त खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। 

    अन्नपूर्ति के बारे में 

    • यह मेड-इन-इंडिया उत्पाद है। इसे WFP इंडिया ने डिजाइन और विकसित किया है।
    • यह ATM बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद प्रत्येक लाभार्थी को चुने गए अनाज के प्रकार और मात्रा के आधार पर गेहूं, चावल या मिलेट्स उपलब्ध कराता है।
    • यह सभी पात्र लाभार्थियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराना सुनिश्चित कर सकता है। साथ ही, अनाज प्राप्त करने में लगने वाले समय को 70% तक कम कर सकता है।
    • यह ATM ऊर्जा का दक्षता से उपयोग करता है। इसे ऑटोमेटिक रीफिलिंग के लिए सौर पैनल्स से जोड़ा जा सकता है।
    • WFP इनोवेशन अवार्ड्स 2022 में, अन्नपूर्ति को भुखमरी से निपटने के लिए WFP के शीर्ष पांच अभिनव समाधानों में शामिल किया गया था।
    • Tags :
    • National Food Security Act (NFSA)
    • Grain ATM
    • Annapurti
    • UNWEP

    जन पोषण केंद्र (JAN Poshan Kendras)

    हाल ही में, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री ने 60 उचित मूल्य की दुकानों (FPSs) को जन पोषण केंद्रों में परिवर्तित करने हेतु एक पायलट परियोजना का शुभारंभ किया। 

    • FPSs ऐसी दुकानें हैं, जिन्हें आवश्यक वस्तु अधिनियम (1955) के तहत आवश्यक वस्तुओं का वितरण करने के लिए लाइसेंस प्राप्त होता है। ये दुकानें लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन कार्ड धारकों को अनाज और अन्य वस्तुएं वितरित करती हैं। 

    जन पोषण केंद्रों के बारे में 

    • ये केंद्र उपभोक्ताओं को पोषण युक्त खाद्य पदार्थों की विविध रेंज उपलब्ध कराएंगे। साथ ही, ये केंद्र उचित मूल्य की दुकान के डीलरों के लिए आय के अतिरिक्त स्रोत भी प्रदान करेंगे। 
    • जन पोषण केंद्रों को 50% उत्पाद पोषण श्रेणी में रखने होंगे, जबकि शेष 50% घरेलू वस्तु श्रेणी के लिए आरक्षित होंगे। 
    • यह पायलट परियोजना गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश राज्यों में लागू की जाएगी। 
    • Tags :
    • Targeted Public Distribution System
    • Jan Poshan Kendras
    • Fair Price Shops (FPS)
    • Essential Commodities Act (1955)

    भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 लोक सभा में प्रस्तुत किया गया (Bharatiya Vayuyan Vidheyak 2024 Introduced in The Lok Sabha)

    यह 90 साल पुराने वायुयान अधिनियम, 1934 की जगह लेगा। वर्ष 1934 का अधिनियम “वायुयान के विनिर्माण, कब्जे, उपयोग, संचालन, बिक्री, आयात और निर्यात के नियंत्रण के लिए अधिक अच्छे उपबंध करने” पर केंद्रित है। 

    भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 के बारे में 

    • उद्देश्य: 1934 के अधिनियम में विद्यमान अस्पष्टताओं को दूर करना और विमानन क्षेत्रक में व्यवसाय एवं विनिर्माण को सुगम बनाना।
    • महत्वपूर्ण प्रावधान:
      • अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन से संबंधित कन्वेंशंस को लागू करने के लिए नियम बनाने हेतु केंद्र सरकार को सशक्त बनाया जाएगा। 
        • उदाहरण के लिए- अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार कन्वेंशन (1932); शिकागो कन्वेंशन (1944) आदि।
      • नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA), नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) को अधिक शक्तियां प्रदान की जाएंगी। 
      • लोक सुरक्षा के मद्देनजर आपातकाल के दौरान आदेश (जैसे- विमान को डिटेन करना) जारी करने के लिए केंद्र सरकार को सशक्त बनाया जाएगा। 
    • Tags :
    • Bharatiya Vayuyan Vidheyak 2024
    • Aircraft Act, 1934
    • aviation sector

    QCI सुराज्य रेकग्निशन एंड रैंकिंग फ्रेमवर्क (QCI Surajya Recognition & Ranking Framework)

    भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) ने ‘QCI सुराज्य रेकग्निशन एंड रैंकिंग फ्रेमवर्क’ प्रस्तुत किया।

    ‘QCI सुराज्य रेकग्निशन एंड रैंकिंग फ्रेमवर्क’ के बारे में

    • इसका उद्देश्य विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गुणवत्ता और नवाचार में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले राज्यों एवं संगठनों को मान्यता देना तथा पुरस्कृत करना है।
    • इसे निम्नलिखित चार स्तंभों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है:
      • शिक्षा;
      • स्वास्थ्य;
      • समृद्धि और
      • सुशासन।

    भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) के बारे में

    • इसे 1996 में प्रत्यायन (Accreditation) के राष्ट्रीय निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक स्वायत्त गैर-लाभकारी संगठन है।
      • इसे यूरोपीय संघ के विशेषज्ञ मिशन की सिफारिशों पर स्थापित किया गया था। 
    • इसे केंद्र सरकार, एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (ASSOCHAM), भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने संयुक्त रूप से स्थापित किया था।
    • नोडल विभाग: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT)।
    • शासी परिषद:
      • इसमें अध्यक्ष और महासचिव सहित 39 सदस्य होते हैं। इसमें सरकार, उद्योग जगत और अन्य हितधारकों का समान प्रतिनिधित्व होता है।
      • अध्यक्ष को प्रधान मंत्री द्वारा नामित किया जाता है।
    • QCI की भूमिका
      • राष्ट्रीय प्रत्यायन निकाय (National Accreditation Body: NAB): इसका कार्य वैश्विक मानकों के अनुरूप राष्ट्रीय गुणवत्ता अभियान के माध्यम से गुणवत्ता को बढ़ावा देना है।
      • यह उत्पादों, सेवाओं और प्रक्रियाओं के तृतीय पक्ष मूल्यांकन के लिए एक तंत्र का गठन करता है।
      • यह भारत के नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता और कल्याण में सुधार के लिए प्रयास करता है।
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    • Quality Council of India (QCI)
    • QCI Surajya Recognition & Ranking Framework
    • Accreditation

    भारत में लिथियम भंडार (Lithium Reserves in India)

    परमाणु खनिज अन्वेषण और अनुसंधान निदेशालय ने मांड्या जिले में 1,600 टन लिथियम भंडार की पुष्टि की है।

    • देश में लिथियम भंडार की खोज का महत्त्व
      • लिथियम के आयात पर निर्भरता में कमी आएगी। वर्तमान में भारत मुख्य रूप से चीन और हांगकांग से लिथियम के आयात पर निर्भर है। 
      • ऊर्जा भंडारण आवश्यकताओं और ग्रीन ऊर्जा अपनाने में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। 
      • औद्योगिक विकास, विशेष रूप से वाहन और ऑटोमोबाइल उद्योग के विकास को बढ़ावा मिलेगा। 

    लिथियम के बारे में

    • लिथियम को सफेद सोना (व्हाइट गोल्ड) भी कहा जाता है। 
    • लिथियम नरम और चांदी जैसी सफेद क्षारीय विषाक्त धातु है। सभी धातुओं में इसका घनत्व सबसे कम है। 
    • खान और खनिज (विकास और विनियमन) (संशोधन) अधिनियम, 2023 के तहत इसे महत्वपूर्ण (क्रिटिकल) एवं सामरिक खनिज की सूची में शामिल किया गया है।

    लिथियम के उपयोग

    • बैटरी बनाने में: मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहन आदि के लिए रिचार्जेबल ली-आयन बैटरी तथा हार्ट पेसमेकर, घड़ियों आदि के लिए नॉन-रिचार्जेबल बैटरी के निर्माण में।
    • मिश्र धातु में: वस्तुओं की मजबूती बढ़ाने और वजन हल्का रखने के लिए इसे एल्यूमीनियम और मैग्नीशियम के साथ मिश्रित किया जाता है। इस मिश्र धातु का उपयोग कवच चढ़ाने, विमान के पार्ट्स बनाने, साइकिल फ्रेम और हाई-स्पीड ट्रेन बनाने आदि में किया जाता है।
    • औद्योगिक उपयोग: इसका एयर कंडीशनिंग, इंडस्ट्रियल ड्राइंग सिस्टम और ग्लास सिरेमिक में उपयोग किया जाता है।

    लिथियम संसाधन की प्राप्ति के लिए उठाए गए कदम

    • खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) विदेशों में सामरिक खनिजों की खोज करता है।
    • ‘ऑस्ट्रेलिया-भारत महत्वपूर्ण खनिज निवेश भागीदारी’ शुरू की गई है। 
    • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) भारत में लिथियम भंडार की खोज कर रहा है।
    • भारत का खान मंत्रालय संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाली “खनिज सुरक्षा भागीदारी (MSP)” में शामिल हुआ है। 
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    • Lithium
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    टैंटलम (Tantalum)

    केंद्र सरकार ने खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत टैंटलम को एक महत्वपूर्ण एवं सामरिक खनिज (Critical and Strategic Mineral) के रूप में अधिसूचित किया है। 

    टैंटलम के बारे में 

    • टैंटलम एक दुर्लभ धातु है। इसका परमाणु क्रमांक (एटॉमिक नंबर) 73 है। 
    • यह धूसर रंग की, भारी, बहुत कठोर और संक्षारण प्रतिरोधी (Corrosion-resistant) धातु है। 
    • विशेषताएं
      • शुद्ध होने पर, टैंटलम धातु तन्य (Ductile) हो जाती है, अर्थात इसे फैलाया जा सकता है, खींचा जा सकता है या इसके पतले तार बनाए जा सकते हैं।
      • इसका अत्यधिक उच्च गलनांक होता है। 
    • उपयोग: इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सर्जिकल उपकरणों और प्रत्यारोपण में कैपेसिटर बनाने में तथा रासायनिक संयंत्रों, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, हवाई जहाज और मिसाइलों आदि के लिए पुर्जों के निर्माण में।

     

     

     

    • Tags :
    • About Tantalum
    • Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957
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