RBI ने सहकारी बैंकों के लिए गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) के “प्रॉविजन” मानदंडों में संशोधन किया (RBI Revised NPAS Provision Norms for Co-Operative Banks)
नए मानदंडों की आवश्यकता इसलिए पड़ी, क्योंकि कुछ बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) के लिए आवश्यक “प्रोविजंस” को व्यय के रूप में दर्ज नहीं कर रहे थे।
- ये नए मानदंड शहरी सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों पर लागू होंगे।
- ये नए मानदंड बैड एंड डाउटफुल डेब्ट रिजर्व (BDDR) के निर्धारण में एकरूपता लाएंगे।
- कई सहकारी बैंकों ने बैड लोन से निपटने और वित्तीय स्थिरता प्राप्ति के लिए BDDR की स्थापना की है।

नए मानदंडों पर एक नजर
- BDDR या अन्य श्रेणी से संबंधित सभी प्रोविजंस इनकम रिकग्निशन, एसेट क्लासिफिकेशन एंड प्रोविजनिंग (IRACP) मानदंडों के तहत लाभ और हानि खाते में व्यय के रूप में दर्ज किए जाने चाहिए।
- IRACP मानदंडों और अन्य विनियमों के अनुसार सभी प्रोविजंस का लेखा-जोखा रखने के बाद ही सहकारी बैंक BDDR में निवल लाभ का उपयोग कर सकते हैं।
सहकारी बैंकों (co-operative Banks) के बारे में:
- ये बैंक सहयोग के सिद्धांत पर काम करते हैं। इनका स्वामित्व इनके सदस्यों के पास होता है और इनका संचालन भी सदस्य ही करते हैं।
- इन बैंकों को ग्रामीण और शहरी सहकारी बैंकों में विभाजित किया जाता है।
सहकारी बैंकों से जुड़ी चिंताएं
- क्षेत्रीय असमानता: 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल शहरी सहकारी बैंकों में से लगभग 82 प्रतिशत बैंक और सभी शहरी सहकारी बैंकों की लगभग 90 प्रतिशत शाखाएं देश के पश्चिमी एवं दक्षिणी क्षेत्रों में स्थित हैं।
- दोहरा विनियमन: इन बैंकों के प्रबंधकीय और प्रशासनिक कार्यों की देखरेख राज्य सरकारें करती हैं, जबकि इनकी बैंकिंग गतिविधियों का RBI या नाबार्ड (NABARD) द्वारा विनियमन एवं पर्यवेक्षण किया जाता है।
- अन्य चिंताएं: इनके पास पूंजी जुटाने के लिए अधिक स्रोत नहीं होते हैं, इनका सकल NPA काफी अधिक होता है आदि।
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- Non-Performing Assets
- Bad & Doubtful Debt Reserve
- Co-Operative Banks
संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कर संधि (UN Global Tax Treaty)
संयुक्त राष्ट्र की तदर्थ समिति को “अंतर्राष्ट्रीय कर सहयोग पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन” के लिए विचारार्थ विषय का मसौदा तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। हाल ही में, इस समिति ने संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कर कन्वेंशन हेतु मार्गदर्शन के एक सेट को मंजूरी दी है।
- इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य वैध, निष्पक्ष, स्थिर, समावेशी और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय कर प्रणाली के लिए संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कर संधि स्थापित करना है।
- भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों ने संधि के विचारार्थ विषय के पक्ष में मतदान किया। इसके विपरीत ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, जापान, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे औद्योगिक देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कर कन्वेंशन के उद्देश्य
- अंतर्राष्ट्रीय कर सहयोग को मजबूत करना और इसे समावेशी एवं प्रभावी बनाना;
- बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) के डिटिजल व्यवसाय और उनके वैश्विक व्यवसाय पर कर लगाने संबंधी मौजूदा चुनौतियों का समाधान करना;
- संधारणीय विकास के लिए घरेलू संसाधन जुटाना और कर नीति का उपयोग करना;
- ‘विकास के लिए वित्त-पोषण पर अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा’ और ‘सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के लिए 2030 एजेंडा’ के कार्यान्वयन में तेजी लाना आदि।
संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कर कन्वेंशन की प्रतिबद्धताएं
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर न्यायसंगत कर लगाने सहित कर अधिकारों का उचित आवंटन;
- उच्च नेटवर्थ वाले व्यक्तियों द्वारा कर-संबंधी अवैध वित्तीय लेन-देन, कर चोरी और कर से बचने की समस्याओं से निपटना;
- विदेशों में दी गई सेवाओं से प्राप्त आय को कर के दायरे में लाने से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना;
- कर संबंधी मामलों और कर विवादों के समाधान में एक-दूसरे की प्रशासनिक सहायता करने के लिए प्रभावी व्यवस्था करना आदि।
वैश्विक कर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अन्य वैश्विक पहलें
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- Global Tax Treaty
- UN Global Tax Convention
- OECD Global Minimum Tax
Articles Sources
गैर-प्रशुल्क उपाय (Non-Tariff Measures)
विश्व व्यापार संगठन (WHO) की ‘विश्व टैरिफ प्रोफाइल’ रिपोर्ट, 2024 के अनुसार 2023 में भारत गैर-प्रशुल्क उपायों का उपयोग करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश था।
गैर-प्रशुल्क उपायों (NTM) के बारे में
- ये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में किसी देश द्वारा सामान्य सीमा शुल्क लगाने के अलावा अन्य नीतिगत उपाय या कार्रवाई हैं। ये उपाय व्यापारिक वस्तुओं की मात्रा या कीमत या दोनों में बदलाव लाकर वस्तुओं के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- गैर-प्रशुल्क उपायों के उदाहरण: आयात या निर्यात के लिए वस्तुओं का कोटा तय कर देना या अधिकतम या न्यूनतम कीमत निर्धारित कर देना; सैनिटरी या फाइटोसैनिटरी उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएं उत्पन्न करना, आदि।
- हालांकि कई गैर-प्रशुल्क उपायों का उद्देश्य मुख्य रूप से लोक स्वास्थ्य या पर्यावरण की रक्षा करना होता है, लेकिन कई उपाय सूचना, नियमों के अनुपालन और प्रक्रियाओं के पालन की लागतों को बढ़ाकर व्यापार को भी बाधित करते हैं।
- Tags :
- Non-Tariff Measures
- Sanitary and Phytosanitary measures
- Quotas
डेब्ट-फॉर-डेवलपमेंट स्वैप्स (डेब्ट स्वैप्स) {Debt-for-Development Swaps (Debt Swaps)}
डेब्ट-फॉर-डेवलपमेंट स्वैप्स: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक एप्रोच फ्रेमवर्क पेपर जारी किया है।
डेब्ट स्वैप के बारे में
- यह एक सरकार और उसके एक या अधिक लेनदारों के बीच किया जाना वाला एक समझौता होता है। इस समझौते के तहत सरकार के ऋण (Sovereign debt) को एक या अधिक देनदारियों के साथ प्रतिस्थापित किया जाता है। इस समझौते में एक विशिष्ट विकास लक्ष्य के प्रति व्यय प्रतिबद्धता भी शामिल की जाती है।
- विकास लक्ष्यों में प्रकृति संरक्षण, जलवायु कार्रवाई, शिक्षा, पोषण, शरणार्थियों के लिए सहायता आदि शामिल हैं।
- स्वैप की उपयुक्तता निर्धारित करने के लिए अलग-अलग मानदंडों पर विचार किया जाता है। जैसे- देश की प्रारंभिक ऋण स्थिति, निवल वित्तीय लाभ आदि।
- डेब्ट स्वैप को दो श्रेणियों में बांटा गया है- द्विपक्षीय डेब्ट स्वैप और वाणिज्यिक डेब्ट स्वैप।
- द्विपक्षीय डेब्ट स्वैप: आधिकारिक द्विपक्षीय ऋण बट्टे खाते में डाल (Write-off) दिया जाता है; तथा
- वाणिज्यिक डेब्ट स्वैप: निजी लेनदारों द्वारा रखा गया लक्ष्य ऋण।
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- International Monetary Fund (IMF)
- Debt Swaps
- Debt for Development Swaps
विश्व व्यापार सांख्यिकी समीक्षा (WTSR), 2023 {World Trade Statistical Review (WTSR) 2023}
विश्व व्यापार सांख्यिकी समीक्षा (WTSR) 2023 के बारे में
- यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) का प्रमुख सांख्यिकीय प्रकाशन है।
- WTSR 2023 में विश्व व्यापार में नवीनतम विकास के रुझानों की चर्चा की गई है। इसमें पण्य (Merchandise) और वाणिज्यिक सेवाओं में वैश्विक व्यापार पर प्रमुख डेटा शामिल है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- भारत 2023 में वैश्विक कृषि निर्यात में 8वें स्थान पर था।
- भारत पण्य निर्यात में 18वें और सेवा निर्यात में 7वें स्थान पर था।
- 2022 में चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी शीर्ष तीन पण्य निर्यातक थे।
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- World Trade Organisation
- World Trade Statistical Review